Monday, 2 December 2019

ग़ज़ल


१२१२  ११२२  १२१२  २२ (११२)
चनाव में अभी’ पार्टी बहुत धमाल किया
गरीब लोग के’ ही वोट ने कमाल किया |

विकास-ढोल बजाते, कहीं विकास नहीं
कहाँ हुई है’ प्रगति? जानता’ ने सवाल किया |

लिया है वोट किया फायदा सदा अपना
कठोर झूठ-छुरा आम को हलाल किया |

कभी यहाँ कभी’ परदेश में किया विस्फोट
हरेक देश में’ आतंक ने बबाल किया |

ढकोसले में’ सभी पार्टियां निपुण होते
शहद-वचन सदा’ नुक्सान बेहिसाब किया |

उन्हें दिये थे’ यही इक जबाबदेही हम
हिसाब लिखने’ में’ आपाद गोलमाल किया |

फरेब, स्वार्थ, विभेदन सभी अधर्म किये  
यही तो’ देश की’ ‘काली’ ख़राब हाल किया |

कालीपद 'प्रसाद'

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