अनुभूतियाँ
इन्सान हूँ , रिस्ता जोड़ा था उस से
समझकर एक इन्सान,
इन्सान के रूप में लोगों को
मिलजाते हैं भगवान ,
यह मेरी बद नसीबी नहीं तो और क्या ?
मुझे मिला इन्सान के रूप में एक हैवान।
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यह दुनिया धुप छांह का खेल है ,
कहीं ख़ुशी तो कहीं गम है।
गम को भुला दो , खुशियों को समेट लो ,
जो न मिला उसकी शिकवा न करो
जो मिला उसको महसूस करो।
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एक विन्दु है और
एक सिन्धु है।
सिन्धु को अभिमान है कि
उसमें असंख्य जल विन्दु हैं ,
विन्दु को गर्व है कि
वह सिन्धु का उदगम है।
कालीपद "प्रसाद "
इन्सान हूँ , रिस्ता जोड़ा था उस से
समझकर एक इन्सान,
इन्सान के रूप में लोगों को
मिलजाते हैं भगवान ,
यह मेरी बद नसीबी नहीं तो और क्या ?
मुझे मिला इन्सान के रूप में एक हैवान।
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यह दुनिया धुप छांह का खेल है ,
कहीं ख़ुशी तो कहीं गम है।
गम को भुला दो , खुशियों को समेट लो ,
जो न मिला उसकी शिकवा न करो
जो मिला उसको महसूस करो।
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एक विन्दु है और
एक सिन्धु है।
सिन्धु को अभिमान है कि
उसमें असंख्य जल विन्दु हैं ,
विन्दु को गर्व है कि
वह सिन्धु का उदगम है।
कालीपद "प्रसाद "
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