Saturday, 27 July 2013

हमारे नेताजी





हर मौत पर घडियाली आँसू, ये बहाया करते हैं
आदतन ,मौत पर मुआबज़ा का एलान करते हैं।

तेइस (२३) बच्चे की मौत पर ये गिनते है दो,तीन (२,३)
 दो,तीन को देते हैं मुआबज़ा,तेइस नाम दर्ज करते हैं।

शर्म-ओ-हया को कर दिया विदा वर्षों पहले 
अब तो चन्द सिक्कों के लिए ,ईमां का सौदा करते हैं।

एहसास शून्य पत्थर का हो गया है उनका दिल 
अब मुर्दों से मुआबज़ा का पैसा छिना करते हैं।

चतुर चाल उनकी ,मदत का दिखावा करते हैं 
रय्यत राज ना जान जाय ,खौफ़ खाए रहते हैं।

बाढ़ हो या भूकंप हो ,या हो कोई प्राकृतिक त्रासदी 
चेहरे पर दुःख ,मन में ख़ुशी लिए चापर से सैर करते हैं।

संकट में फंसे पीड़ित को बचाने ,सेना चापर भेजती है 
अफसर, मंत्री,बहू ,सारा परिवार चापर से सैर करते हैं।

बलिहारी नेताजी आपका ,टेढ़ी  है आपकी  चाल
दिल में भी खोट है ,सीधी बात कभी नहीं करते हैं।


रय्यत=नागरिक ,जनगण
  कालिपद "प्रसाद "


© सर्वाधिकार सुरक्षित

30 comments:

  1. बोझ बन गए है, असल आजादी की लड़ाई इनके खिलाफ ही लडनी होगी !

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  2. sahi kaha aapne inke ehsas shoonya ho gaye hain .

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  3. इन नेताओं की चमड़ी बहुत मोटी है ... इतना तेज चाबुक भी असर नहीं करेगा ...

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  4. सही कहा आप ने इन्हें नेता नहीं लुटेरे कहना चाहिए..

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  5. लुटेरा कहना भी लुटेरों का अपमान है, इनके लिये तो कोई नया शब्द ही गढना पडेगा.

    रामराम.

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    1. आप सही कह रहे हैं ताऊ रामपुरिया जी !

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  6. बहुत बढ़िया सर जी-
    आभार

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  7. नेताओं के पास संवेदना बची ही नहीं है और निम्नस्तरीय हर अलंकरण इनके लिए कम है !!

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  8. सीधा और सपाट, लक्ष्य पर।

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  9. अपना पेट भरने से फुर्सत ही नहीं दूसरों को क्या देंगे..
    ऐसे ही गरीबों की लुटते रहेंगे..
    संवेदनहीन मनुष्य है ये लोग..
    दुखद ....

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  10. करारा हाथ मारा है.

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  11. यथार्थ और सटीक चित्रण ।

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  12. सपाट और सार्थक रचना

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  13. Haqiqat hai ye hamare desh ki

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  14. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि का लिंक आज रविवार (28-07-2013) को त्वरित चर्चा डबल मज़ा चर्चा मंच पर भी है!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. आपका तहे दिल से आभारी हैं मयंक जी !

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  15. नेताओं के बारे में इतना कुछ जानते हुये भी हम उनको नेता मानते हैं ।

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  16. बहुत सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति .. आपकी इस रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (29.07.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की जाएगी. कृपया पधारें .

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    1. ह्रदय से आपका आभार नीरज जी !

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  17. महोदय..


    "सुंदर रूप से हुआ विवेचन..
    सत्य मन में है अवचेतन..

    कहाँ-कहाँ जायेंगे बाँध इसे..
    सस्ता हुआ राष्ट्र-प्रेम-वेतन..!!!"

    बहुत सुन्दर लिखा है आपने..

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  18. सटीक... पानी सर से ऊपर जा चुका है, देखते हैं जनता की सहनशक्ति कब ख़त्म होती है...

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  19. बढिया, नेताओं को कुछ भी कह लीजिए, असर नहीं होगा इन पर

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  20. satik rachna....sahi kaha apne

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  21. बहुत सटीक प्रस्तुति...

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  22. बहुत ही सार्थक रचना नेताओं पर .....

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  23. नेता आदत से मजबूर हैं आखिर नेता जो हैं
    सुन्दर रचना

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