Friday, 12 July 2013

केदारनाथ में प्रलय (२)




फूलों की वादियों  में खिलते थे फुल अनेक

सैलानी से भरा रहता ,अब नहीं कोई एक।


उड़ गए हरित चादर सुन्दर पादप देवदार का

गंजे के सर की भांति ,नंगा शिखर है पर्वत का।


प्रकृति को नहीं स्वीकार, मानव का कोई शोषण

प्रकृति बनाकर सबको, खुद करती उसका पोषण।


प्रत्यक्ष प्रमाण देखो ,केदारनाथ में अतिक्रमण का नाश है

मानव  निर्मित  हर रचना   को मिटटी में मिला दिया  है।


बारिश हर वर्ष होती  है , अब की बार क्या नया है? .

बे-मौसम क्यों बादल टूट पड़ा, मानव ने कभी सोचा है?


मानव के अत्याचार से नाराज है प्रकृति महाकाल

प्रलय विगुल फूंक दिया ,समझो अंत है कलिकाल।


मन्दाकिनी, अलकनन्दा, गंगा , कोई नहीं अब पावन

लाशों का अम्बार लगा है, नहीं करता कोई  आचमन।


ना इन्द्रधनुषी दैविक आभा,ना सुमधुर संगीत मंदिर का

नहीं गूंजती भक्तों की वाणी "जय जय भोले नाथ का। "


शमशान की ख़ामोशी है, बद्रीनाथ, केदारनाथ धाम में

क्रन्दन और विलाप की गुंज है, पहाड़ों के सब गाँव में।


पुत्र  गया ,पिता गया ,पति हुआ प्रलय का शिकार

अनाथ बेटी ,अनाथ पत्नी, अनाथ हुआ पूरा परिवार।


सियासत के ठेकेदारों , जाकर देखो इन सब  घरों में

चापर से नहीं देख पाओगे ,दुःख है जो इनके दिलों में।


देश को  लूटो ,खजाने को लूटो ,लूटो देश के सब धन

इंसानियत को मत लुटाओ  लूटकर मुर्दे की कफ़न।



कालीपद 'प्रसाद "

©सर्वाधिकार सुरक्षित





21 comments:

  1. बहुत सटीक और मर्मस्पर्शी रचना....

    ReplyDelete
  2. दुख बरसा है, प्रकृति स्रोत से।

    ReplyDelete
  3. बेहतरीन सटीक और सत्य को उजागर करती प्रस्तुति

    ReplyDelete
  4. बहुत ही सटीक रचना , बहुत बधाई ।

    ReplyDelete
  5. दुखद हादसा..मर्मस्पर्शी रचना...आभार

    ReplyDelete
  6. बहुत मार्मिक और सटीक सामयिक रचना.

    रामराम.

    ReplyDelete
  7. सियासत के ठेकेदारों , जाकर देखो इन सब घरों में
    चापर से नहीं देख पाओगे ,दुःख है जो इनके दिलों में।

    Gahre bhav ......marmik rachana ...aabhar.

    ReplyDelete
  8. Aprateem alfaaz nahi mil rahe....

    ReplyDelete
  9. विपत्ति के बदल थे जो प्रलय मच गये ,बहुत ही मार्मिक प्रस्तुति

    ReplyDelete
  10. मार्मिक पर सत्य को उकेरती सुंदर रचना

    ReplyDelete
  11. ह्रदय को छूती और आँखें नम करती पोस्ट.

    सादर
    अनु

    ReplyDelete
  12. सटीक एवं मार्मिक रचना

    ReplyDelete
  13. त्रासदी का चित्रण मार्मिक ..

    ReplyDelete
  14. दर्दनाक हादसा उभेरते हुए ह्रदय को छुती रचना

    ReplyDelete
  15. दुखी हृदय की करून पुकार ………. मर्मस्पर्शी

    ReplyDelete
  16. दुखी हृदय की करून पुकार ………. मर्मस्पर्शी

    ReplyDelete
  17. सटीक, सामयिक दर्द भरी पुकार ।

    ReplyDelete
  18. सुन्दर और सटीक रचना |
    आशा

    ReplyDelete
  19. मार्मिक और दुखद त्रासदी की सटीक रचना
    उत्कृष्ट प्रस्तुति

    सादर

    ReplyDelete