केदारनाथ में प्रलय (२)
फूलों की वादियों में खिलते थे फुल अनेक
सैलानी से भरा रहता ,अब नहीं कोई एक।
उड़ गए हरित चादर सुन्दर पादप देवदार का
गंजे के सर की भांति ,नंगा शिखर है पर्वत का।
प्रकृति को नहीं स्वीकार, मानव का कोई शोषण
प्रकृति बनाकर सबको, खुद करती उसका पोषण।
प्रत्यक्ष प्रमाण देखो ,केदारनाथ में अतिक्रमण का नाश है
मानव निर्मित हर रचना को मिटटी में मिला दिया है।
बारिश हर वर्ष होती है , अब की बार क्या नया है? .
बे-मौसम क्यों बादल टूट पड़ा, मानव ने कभी सोचा है?
मानव के अत्याचार से नाराज है प्रकृति महाकाल
प्रलय विगुल फूंक दिया ,समझो अंत है कलिकाल।
मन्दाकिनी, अलकनन्दा, गंगा , कोई नहीं अब पावन
लाशों का अम्बार लगा है, नहीं करता कोई आचमन।
ना इन्द्रधनुषी दैविक आभा,ना सुमधुर संगीत मंदिर का
नहीं गूंजती भक्तों की वाणी "जय जय भोले नाथ का। "
शमशान की ख़ामोशी है, बद्रीनाथ, केदारनाथ धाम में
क्रन्दन और विलाप की गुंज है, पहाड़ों के सब गाँव में।
पुत्र गया ,पिता गया ,पति हुआ प्रलय का शिकार
अनाथ बेटी ,अनाथ पत्नी, अनाथ हुआ पूरा परिवार।
सियासत के ठेकेदारों , जाकर देखो इन सब घरों में
चापर से नहीं देख पाओगे ,दुःख है जो इनके दिलों में।
देश को लूटो ,खजाने को लूटो ,लूटो देश के सब धन
इंसानियत को मत लुटाओ लूटकर मुर्दे की कफ़न।
कालीपद 'प्रसाद "
©सर्वाधिकार
सुरक्षित
बहुत सटीक और मर्मस्पर्शी रचना....
ReplyDeleteदुख बरसा है, प्रकृति स्रोत से।
ReplyDeleteमार्मिक प्रस्तुति
ReplyDeleteसटीक रचना !!
ReplyDeleteबेहतरीन सटीक और सत्य को उजागर करती प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत ही सटीक रचना , बहुत बधाई ।
ReplyDeleteदुखद हादसा..मर्मस्पर्शी रचना...आभार
ReplyDeleteबहुत मार्मिक और सटीक सामयिक रचना.
ReplyDeleteरामराम.
सियासत के ठेकेदारों , जाकर देखो इन सब घरों में
ReplyDeleteचापर से नहीं देख पाओगे ,दुःख है जो इनके दिलों में।
Gahre bhav ......marmik rachana ...aabhar.
Aprateem alfaaz nahi mil rahe....
ReplyDeleteविपत्ति के बदल थे जो प्रलय मच गये ,बहुत ही मार्मिक प्रस्तुति
ReplyDeleteमार्मिक पर सत्य को उकेरती सुंदर रचना
ReplyDeleteह्रदय को छूती और आँखें नम करती पोस्ट.
ReplyDeleteसादर
अनु
सटीक एवं मार्मिक रचना
ReplyDeleteत्रासदी का चित्रण मार्मिक ..
ReplyDeleteदर्दनाक हादसा उभेरते हुए ह्रदय को छुती रचना
ReplyDeleteदुखी हृदय की करून पुकार ………. मर्मस्पर्शी
ReplyDeleteदुखी हृदय की करून पुकार ………. मर्मस्पर्शी
ReplyDeleteसटीक, सामयिक दर्द भरी पुकार ।
ReplyDeleteसुन्दर और सटीक रचना |
ReplyDeleteआशा
मार्मिक और दुखद त्रासदी की सटीक रचना
ReplyDeleteउत्कृष्ट प्रस्तुति
सादर