चाहता हूँ, तुझे मना लूँ प्यार से
लेकिन डर लगता है तेरी नाराज़गी से |
घर मेरा तारीक के आगोश में है
रोशन हो जायेगा तुम्हारे बर्के हुस्न से |
इन्तेजार रहेगा तेरा क़यामत तक
नहीं डर कोई गम-ए–फिराक से |
मालुम है, कुल्फ़ते बे-शुमार हैं रस्ते में
इश्क–ए–आतिश काटेगा वक्त इज़्तिराब से |
बर्के हुस्न तेरी बना दिया है मुझे बे–जुबान
करूँगा बयां दिल-ए-दास्ताँ,तश्न-ए–तकरीर से |
शब्दार्थ :बर्के =बिजली जैसा चमकीला सौन्दर्य
तारीक़= अँधेरा
तश्न-ए-तकरीर=होटों की भाषा
कालीपद 'प्रसाद'
© सर्वाधिकार सुरक्षित
रुचिकर प्रस्तुति-
ReplyDeleteआभार भाई जी-
बहुत सुंदर ग़ज़ल.... !!
ReplyDeleteबहुत ख़ूब सर जी
ReplyDeleteअति सुन्दर
ReplyDeleteआभार अच्छी सामग्री के लिए
उम्दा लिखा है..
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत रचना, लाजवाब !
ReplyDeleteवाह!!! बहुत सुंदर और प्रभावशाली रचना
ReplyDeleteउत्कृष्ट प्रस्तुति
सादर
आग्रह है--
आशाओं की डिभरी ----------
बहुत कि बेहतरीन रचना....
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति..आभार.
ReplyDeleteएक लम्बी अवधि के बाद अभिवादन ! अथ,सुकोमल भावुक श्रृंगार हेतु साधुवाद ! !रचना मनन को छू लेने वाली है |
ReplyDeleteसुन्दर... बधाई.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteआदरणीय सर , बहुत सुंदर , धन्यवाद
ReplyDeleteनया प्रकाशन --: तेरा साथ हो, फिरकैसी तनहाई
Bahut achha likhte hain aap
ReplyDeleteलाजवाब रचना.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत खूब प्यारभरी बानगी ...
ReplyDeleteआभार राजेश कुमारी जी
ReplyDelete(नवम्बर 18 से नागपुर प्रवास में था , अत: ब्लॉग पर पहुँच नहीं पाया ! कोशिश करूँगा अब अधिक से अधिक ब्लॉग पर पहुंचूं और काव्य-सुधा का पान करूँ | )
नई पोस्ट तुम
सुंदर भाव सम्प्रेषण ....
ReplyDeletePrem rang ki komal bhavnayen ... Sundar ...
ReplyDeleteअच्छी ग़ज़ल.... आभार
ReplyDeleteखूबशूरत ग़ज़ल
ReplyDeleteKhoobsoorat.... :)
ReplyDeleteBehtrin .. behad umda !!
ReplyDeletehttp://gazalajayki.blogspot.in/2013/11/blog-post_28.html
http://hindibloggerscaupala.blogspot.in/ २९/११/२०१३ दिन शुक्रवार की चौपाल पर आपकी रचना को शामिल किया जा रहा हैं कृपया अवलोकन हेतु पधारे .धन्यवाद
ReplyDeletebahut sundar
ReplyDeleteखूबसूरत नज़्म।
ReplyDeleteसुन्दर उर्दू अलफ़ाज़।