चाहता हूँ, तुझे मना लूँ प्यार से
लेकिन डर लगता है तेरी नाराज़गी से |
घर मेरा तारीक के आगोश में है
रोशन हो जायेगा तुम्हारे बर्के हुस्न से |
इन्तेजार रहेगा तेरा क़यामत तक
नहीं डर कोई गम-ए–फिराक से |
मालुम है, कुल्फ़ते बे-शुमार हैं रस्ते में
इश्क–ए–आतिश काटेगा वक्त इज़्तिराब से |
बर्के हुस्न तेरी बना दिया है मुझे बे–जुबान
करूँगा बयां दिल-ए-दास्ताँ,तश्न-ए–तकरीर से |
शब्दार्थ :बर्के =बिजली जैसा चमकीला सौन्दर्य
तारीक़= अँधेरा
तश्न-ए-तकरीर=होटों की भाषा
कालीपद 'प्रसाद'
© सर्वाधिकार सुरक्षित
रुचिकर प्रस्तुति-
ReplyDeleteआभार भाई जी-
बहुत सुंदर ग़ज़ल.... !!
ReplyDeleteबहुत ख़ूब सर जी
ReplyDeleteअति सुन्दर
ReplyDeleteआभार अच्छी सामग्री के लिए
उम्दा लिखा है..
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत रचना, लाजवाब !
ReplyDeleteवाह!!! बहुत सुंदर और प्रभावशाली रचना
ReplyDeleteउत्कृष्ट प्रस्तुति
सादर
आग्रह है--
आशाओं की डिभरी ----------
बहुत कि बेहतरीन रचना....
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति..आभार.
ReplyDeleteएक लम्बी अवधि के बाद अभिवादन ! अथ,सुकोमल भावुक श्रृंगार हेतु साधुवाद ! !रचना मनन को छू लेने वाली है |
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि कि चर्चा कल मंगलवार २६/११/१३ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका वहाँ हार्दिक स्वागत है।मेरे ब्लॉग पर भी आयें ---http://hindikavitayenaapkevichaar.blogspot.in/पीहर से बढ़कर है मेरी ससुराल सखी(गीत
ReplyDeleteआभार राजेश कुमारी जी
Delete(नवम्बर 18 से नागपुर प्रवास में था , अत: ब्लॉग पर पहुँच नहीं पाया ! कोशिश करूँगा अब अधिक से अधिक ब्लॉग पर पहुंचूं और काव्य-सुधा का पान करूँ | )
नई पोस्ट तुम
सुन्दर... बधाई.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteआदरणीय सर , बहुत सुंदर , धन्यवाद
ReplyDeleteनया प्रकाशन --: तेरा साथ हो, फिरकैसी तनहाई
Bahut achha likhte hain aap
ReplyDeleteलाजवाब रचना.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत खूब प्यारभरी बानगी ...
ReplyDeleteसुंदर भाव सम्प्रेषण ....
ReplyDeletePrem rang ki komal bhavnayen ... Sundar ...
ReplyDeleteसुंदर !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर....
ReplyDeleteसुंदर रचना...
ReplyDeleteअच्छी ग़ज़ल.... आभार
ReplyDeleteखूबशूरत ग़ज़ल
ReplyDeleteKhoobsoorat.... :)
ReplyDeleteBehtrin .. behad umda !!
ReplyDeletehttp://gazalajayki.blogspot.in/2013/11/blog-post_28.html
http://hindibloggerscaupala.blogspot.in/ २९/११/२०१३ दिन शुक्रवार की चौपाल पर आपकी रचना को शामिल किया जा रहा हैं कृपया अवलोकन हेतु पधारे .धन्यवाद
ReplyDeletebahut sundar
ReplyDeleteखूबसूरत नज़्म।
ReplyDeleteसुन्दर उर्दू अलफ़ाज़।