भानु के विरह में नभ ने
सिसक कर रातभर रोया ,
आँसू गिरा फुल पत्ती पर
रजनी का भी मन भर आया !
ढक कर मुंह काली चादर से
निश्छल,निस्तब्ध आँसू बहाया
पोंछ लिया झट से आँसू सुबह
जब भानु का आगमन हुआ||
रवि -रश्मि फैली चारो ओर
हुआ तब तम का पलायन
शीत ऋतू ,सर्द सुन्दर सुबह
भक्तजन करे भजन गायन |
चहकती चिड़िया छोड़ी घोंसले
करने भोजन, दाने की तलाश
मंदिर का आँगन ,खेत खलिहान
उड़ चली ,जहाँ है दानों की आस !
चूजों को खिलाना ,खुद भी खाना
नहीं कोई चिंता संचय का
सुखी है पशु पक्षी इस जगत में
नर दुखी है ,सोचता है कल का |
प्रकृति करती है पोषण सबका
कल की चिंता छोड़ जिओ आज
प्रकृति कहती शोषण मत करो
सखा बनो, तुम मेरे हम राज !
कालीपद "प्रसाद "
सर्वाधिकार सुरक्षित
सुन्दर भाव लिए बढिया रचना..
ReplyDeleteप्राकृति है तो जीवन है ... और जीवन प्रेरणा देती प्राकृति है ..
ReplyDeleteभावमय प्रस्तुति ...
खूबसूरत भावाभिव्यक्ति
ReplyDeleteसादर
बहुत सुन्दर भावमयी प्रस्तुति...
ReplyDeleteप्रकृति चक्र पुलकित करता है।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, धनयबाद .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव
ReplyDeleteभोर होते ही नयी आशाये नयी उम्मीदें ....बहुत बढ़िया
ReplyDeleteलाजबाब,सुंदर शब्द भावपूर्ण प्रस्तुति...!
DeleteRECENT POST -: पिता
आपका आभार शास्त्री जी !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव.
ReplyDeleteनई पोस्ट : फागुन की धूप
wah sundar prakritik varnan
ReplyDeleteसुंदर
ReplyDeletethank's regard for your information and i like this post ^___^
ReplyDeleteAAPKAA AABHAAR HARSHVARSHAN JI
ReplyDeleteसुन्दर रचना.
ReplyDeleteप्रात : का जीवन का एक बिम्ब भी फलसफा भी वाह !
ReplyDeleteगहन विचारों की प्रस्तुति |
ReplyDeleteआशा
आ० सर बढ़िया प्रस्तुति , धन्यवाद
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi
bahut sundar rachana ke sath prbhavi sandesh bhi mila ......sadar aabhar ke sath hi badhai apko .
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा | बढ़िया
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