चित्र गूगल से साभार |
दूर दूर से लोग आते हैं,
सप्ताह में एक बार ,
कुछ होते है दुकानदार
बाकी सब हैं खरीददार |
दस बारह गाँव के बीच
होता है केवल एक हाट ,
सप्ताह भर का खरीदी करते
पास नहीं कोई दूसरा हाट |
क्रय विक्रय जिसका हो जाता है
जिसका होता है काम समाप्त ,
समेटकर अपना साजो सामान
पकड़ लेता है घर का पथ |
एक साथ नहीं आते हैं हाट में
एक साथ नहीं जाते हाट से ,
यही रीति चली आई है
हर काल में अनादि काल से |
दुनिया भी एक हाट है....
भिन्न नहीं है गाँव के हाट से,
किन्तु कुछ नियम अलग है
गाँव के उस छोटे हाट से |
ग्रामीण हाट में विक्रेता वस्तु लाते घर से
खरीददार आते हैं लेकर साथ पैसे
निराला है दुनिया का यह हाट
हर कोई आते मुट्ठी बांधे खाली हाथ |
मैं भी इस हाट में आया हूँ
किन्तु, खाली हाथ आया हूँ ,
क्या बेचुं क्या खरीदूं मैं
कुछ भी तो नहीं लाया हूँ |
यहीं कमाकर कुछ भाव–भावना
रिश्तों का घरोंदा मैं बनाया था
यही होगा पाथेय मेरा
भरोषा और दृढ विश्वास था |
भाव- भावना , विश्वास –भरोषा
जीवन भर का संचय था मेरा
रिश्तों का धागा नाजुक था
फिर भी मजबूती से बांधे रखा |
समय का चक्र घूमते गए
कुछ रिश्ते टूटते गए ,कुछ बिखर गए
भाव –भावना निरर्थक हुए
पैसा ही सबके भगवान हुए |
रिश्तों का कंकाल बचा है
भावनाओं की बेल सुख रही है
न अपना ,न पराया
न घरवाले , ना बाहरवाले
नहीं करते कोई इसका कदर|
बचाकुचा भाव-भावना मूल्य हीन है
नई पीढ़ी में कोई नहीं है लेनदार
उठ जाना होगा जब इस हांट से
छोड़ जायेंगे इन्हें यहीं पर|
कालीपद "प्रसाद "
सर्वाधिकार सुरक्षित
सर बढ़िया बात शेयर की आपनें , धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
~ ज़िन्दगी मेरे साथ - बोलो बिंदास ! ~ ( एक ऐसा ब्लॉग -जो जिंदगी से जुड़ी हर समस्या का समाधान बताता है )
दुनिया हाट से कम नहीं है...सब अपने-अपने प्रयोजन से आते और जाते हैं...खूबसूरत प्रस्तुति...
ReplyDeleteबहुत खूब,उम्दा प्रस्तुति ...!
ReplyDeleteRECENT POST - आज चली कुछ ऐसी बातें.
sahi kaha aapne dunia bhi ek haat hai .nice expression .
ReplyDeletebahut hi achhi rachna, ek chhote se haat se jindagi ki aur le jati hui. sach kahan khali haath aaye aur bhaavon se bhare jane kitna kuchh lekar chalte rahe hain....
ReplyDeleteshubhkamnayen
बहुत खूब
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