उम्र है कम, काम बहुत, आलस न कर मानव
कर्मफल करेगा पार, संसार महा अर्नव |
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पवित्र मन आधार है, सत्य का धर्माचरण
प्रभु का ध्यान औ' मनन , लौकिक सत्यानुशरण |
प्रभु का ध्यान औ' मनन , लौकिक सत्यानुशरण |
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एकाग्र साधना में, हैं विद्या वुद्धि ज्ञान
आत्मशुद्धि होती है, जब निष्कपट हो मन |
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इंसानियत हीन इन्सान, है पशु, नहीं मानव
अनुकम्पी इन्सान जग में, होते सही मानव |
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कालीपद ‘प्रसाद’
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ये दोहे नहीं हैं मित्र
ReplyDeleteध्यानाकर्षण के लिए आभार !
DeleteThis comment has been removed by the author.
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (25-09-2015) को "अगर ईश्वर /अल्लाह /ईसा क़त्ल से खुश होता है तो...." (चर्चा अंक-2109) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपका आभार
Deleteस्टेटमेंट हैं--
Deleteउम्दा रचना सामयिक
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