Sunday 12 June 2016

तीन मुक्तक

तीन मुक्तक

जाति वादी भावना लेकर, मन्दिर में जो जाते
राजनीति करते मन्दिर में, भक्ति भूल वो जाते
हर काया में ईश्वर हैं, प्रत्येक के ह्रदय में
ईर्ष्या से ही मन मन्दिर, उनके निन्दित हो जाते |1|

राजनयिक औरों के कन्धे पर से बन्दूक चलाता है
अपना विशेष गुप्त मिशन संदूकों में गोपन रखता है
जन हित में मन्दिर बनाने की, वायदा तो एक बहाना
खुद की रोजी रोटी का इन्तजाम, मन्दिर से करता है |२|

केवल पूजा पाठ को ही धर्म, मानते हैं जो लोग
अनभिज्ञ हैं अथाह आध्यात्म से, भ्रमित है वो लोग
आत्मा परमात्मा तो बसते है, अपने दिल के अन्दर
ध्यान मनन चिन्तन छोड़, बाहर ढूंढ़ते खुदा को लोग |३|

कालीपद 'प्रसाद'

11 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (13-06-2016) को "वक्त आगे निकल गया" (चर्चा अंक-2372) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. हार्दिक आभार डॉ रूपचन्द्र शास्त्री जी

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 13 जून 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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    1. हार्दिक आभार यशोदा बहन

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  3. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " वकील साहब की चतुराई - ब्लॉग बुलेटिन " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  4. हार्दिक आभार शिवम् मिश्र जी

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  5. बहुत बढ़िया ...

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  6. भगवान तो हमारे आपके सबके दिल में है, पर यह ना लोग समझते हैं ना नेता।

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