चित्र गूगल से साभार |
हे कृष्ण ! कृष कहूँ तुम्हे ,तुम थोड़ा मॉडर्न बन जाओ ,
छोड़ पुराने वेश -भूषा को आधुनिकता को अपनाओ।
इस वेश में तुम देहाती लगते हो , गोपियाँ कहेंगी भैया,
बन जायेंगी औरों की नायिका , बना के उसको सैंया।
पीतांबर छोड़ ,मोरपंख उतार कर , बाँसुरी को फेंक दो,
पहन लो जीन -ज्याकेट और गिटार ले कर डिस्को चलो।
राधा को भी साथ ले लो , पर भेष उसकी भी बदल डालो,
साडी छोड़ ,क्वार्टर पैन्ट और चोली डालकर मॉडर्न बना लो।
फूलों का श्रृंगार छोड़, मेक-अप और टैटू कराओ बदन में,
नहीं तो बहन जी लगेगी राधा , गोपियों की नजर में।
बिना बदले वेश तुम लगोगे भैया ,श्याम सलोने सैंया नहीं,
राधारानी होगी अनाड़ी बहनजी ,तुम्हारी नायिका नहीं।
बाँस की बाँसुरी में क्या रखा है ,बेसुरा लगता है इस युग में,
चुन लो कोई नया यन्त्र , एक नहीं अनेक है इस युग में।
छोड़ पुरानी भजन पूजन , डिस्को ,रैप कराओ मंदिरों में ,
देखो गोपियाँ कैसे थिरकती हैं, डिस्को , रैप के हर रिदम में।
गोपियाँ अब वृन्दावन छोड़ , डिस्को और पब में जाती है,
तुम भी जरा "हीप अप" सिख लो,देखो, मजा पब में आती है।
वृन्दावन में अब क्या मिलेगा, कुछ सूखे पेड़ और झाड़ी कटीले?
पब में मिलेगा सूरा,सुंदरी और उनके रक्तिम होंठ रसीले।
इसलिए कान्हा ,करो ना मना , झट पट हो जाओ तैयार ,
इन्तेजार में है मॉडर्न गोपियाँ , कृपाकर करो उनका उद्धार।
पर याद रहे, न मैं उद्धव, न राधा , ना मैं हूँ तुम्हारा सुदामा ,
मानना , ना मानना ,तुम्हारी मर्जी ,बादमे मुझे दोष ना देना।
कालीपद "प्रसाद "
© सर्वाधिकार सुरक्षित
बढ़िया सलाह |
ReplyDeleteशुभ कामनाएं ||
चाकू रखती गोपियाँ, शिवसेना दे बाँट |
नहीं जोहती बाट अब, सीधे देती काट |
सीधे देती काट , कृष्ण छल-रूप सुधारो |
छेड़छाड़ अपराध, सीटियों यूँ न मारो |
डाल जींस टी-शर्ट, बनो न कृष्ण हलाकू |
मनमोहन गर मौन, चलाये ममता चाकू ||
:-)
ReplyDeleteशायद ऐसा ही युग आ गया है......
बढ़िया रचना..
सादर
अनु
आजकल तो मार्डन कष्ण-कन्हैयाओं की भरमार है!
ReplyDeleteसुन्दर रचना!
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteसमय पर प्रहार | अच्छी कविता सर जी |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteआभार रविकर जी !
ReplyDeleteशानदार अभिव्यक्ति , सुंदर रचना ,काली प्रसाद जी,,,बधाई
ReplyDeleterecent post: गुलामी का असर,,,
बहुत सुन्दर है .
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ReplyDeleteसमय के मुताबिक रचना अच्छी है
ReplyDeleteपर मुझे लगता है कि हम आज भी कृष्ण को उसके वही पुराने रूप में देखना पसंद करेंगे ,वो मोर पंख,वो बांसुरी ही उनकी पहचान है ||
अंजू जी ,हर कोई कृष्ण को उसी रूप में देखना चाहता है .यह आधुनिकता पर व्यंग है.
ReplyDeleteश्रीकृष्ण को यह सलाह आपने किस आशय से दी समझ नहीं पा रही हूँ ! इससे देश या समाज का कुछ भला होगा या स्वयं कृष्ण की छवि में ही और चाँद लग जायेंगे आधुनिक होकर ऐसा तो नहीं है ! फिर उन मुरली मनोहर को जींस जैकेट और गिटार थाम कर पब में जाने की क्या ज़रुरत है ! वैसे आपकी कल्पना मनोरंजक है !
ReplyDeleteअगर कृष्ण पीली धोती में वंशी बजाते हुए आयेंगे तो लोग उनके आगे सिक्के अवश्य फैंक देंगे ..... पब, डिस्को , रेव पार्टी जाती हुई कोई नाज़नीन कब रुकेगी वंशी सुनने ...
Deleteआज तो गली गली में कृष्ण और गोपियों कि भरमार है फिर कृष्ण के आने कि क्या दरकार है !!
ReplyDeleteअच्छी रचना !!
धोके से साथी-साथिनों से मोलेस्टेशन व बलात्कार की बजाय ....अध्यात्म व प्रेम की ऊंचाई बताने ....
Deleteआदरणीया साधना जी , आज का युवा पीढ़ी भौतिक वादी है ,"खाओ, पियो ",और मौज मस्ती ,फैशन यही उनका जीवन का उद्येश्य हो गया है. .साड़ी पहनी लड़की बहनजी (अनाड़ी) लगती है आदि आदि ...,क्या यह सोच सही है ? यदि सही है तो हम अपने आराध्य को उस रूप में क्यों नहीं देख सकते ? यदि सही नहीं तो माँ बाप को चाहिए कि बच्चों को अपनी संस्कृति के अनुसार वेश भूषा को अपनाने की सुझाव दे...प्रगति /आधुनिकता का मतलब अँधा अनुकरण नहीं है.आज देश की जो हालत है उसमे अँधा अनुकरण/ आधुनिकता का बहुत बड़ा योगदान है.उसके ऊपर यह व्यंग है .अपनी आस्था को वापस लाने की प्रयत्न है. .
ReplyDeleteहूँ !!!!
Deleteबहुत बढि़या..सुन्दर पोस्ट..
ReplyDeleteआधुनिकता पर अच्छा व्यंग |
ReplyDeleteआशा
शुक्रिया आपकी टिपण्णी का कृष्णा के आधुनकीकरण का .
ReplyDeleteवाह ! क्या कहने आपके आधुनिक कृष्ण के..पर वह तब कृष्ण नहीं होगा..उसका नाम भी कुछ और होगा..
ReplyDeleteअनीता जी ! तब कृष्ण का मॉडर्न नाम "कृष" होगा
Deleteधन्यवाद !