Sunday, 6 January 2013

अहँकार

देश की जनता चिल्ला रही है , चीख रही है दर्द से ,मानसिक पीड़ा से , परन्तु   सरकार और पुलिश दोनों संवेदनहीनता की चरम सीमा को पर कर गई। उन्हें कुछ सुनाई नहीं  दे रही है। न उनमें समाज के प्रति जिम्मेदारी का एहसास है न कुछ करने की इच्छा शक्ति। उन्हें केवल पार्टी ,पैसा,पावर  चाहिए और पावर के मद में आँख ,कान बंद कर लिए है। अहंकार में अब उन्हें यह नहीं दिखाई दे रहा है कि कौन सही है और कौन गलत ,कौन मित्र और कौन शत्रु। ताकत से सबका मुहं बंद करने का प्रयत्न किया जा रहा है। यही .इस रचना का विषय वस्तु है .....
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अहंकार के घोड़े पर चढ़ कर प्यारे  कितना दूर जाओगे ?
अहंकार की जिंदगी है दो चार दिन की , फिर औंधे मुहं गिरोगे।

त्रिभुवन विजयी लंकेश्वर रावण था  अहंकारी
अहँकार ,घमंड में पागल हो, किसी की न मानी
विभीषण को तिरस्कार कर बाहर किया सभा से,
पुत्र ,पौत्र सह  विनाश को प्राप्त हुआ कोई न बचा वंश में।

दुर्योधन का अहंकार देखो , चूर था वह ताकत के  घमण्ड में ,
भीष्म .द्रोण , कर्ण आदि अजेय  वीर जो थे उसके पक्ष में ,
प्रतिज्ञा कर डाला, "बिना युद्ध नहीं देंगे पाण्डवों को सुचाग्र मेदिनी"
ध्वंस हुए सवंश युद्ध में ,ना बचे मित्र कर्ण  ना मामा शकुनि।

अहंकारी नहीं पहचान सकता सच्चा मित्र या शत्रु को 
चिता जलाती शरीर  को , अहंकार जलाता वुद्धि ,विवेक को।

आत्म विश्वास और अहंकार में फर्क है ज्यों घुड़सवार और घोड़ा
आत्म विश्वासी घोड़े पर चड़ता है और अहंकारी पर घोड़ा।

अहँकार तुम में घर कर लिया ,माना तुमने ,तुम जनता का भगवान हो
जनता ने ही तुम  को  बनाया, इस बात को तुम बार बार भूल जाते  हो।

अहँकार है, घबराहट भी है तुम में , खो दिया जो विश्वास रब में
सब कुछ तो रब का बनाया ,किस बात का अहँकार तुम्हे ?

अहँकार छोड़ ,ताकत लगा ,दूर कर व्यवस्था की खामियाँ
जनता जो कहे वही  कर , नहीं तो तुझे दूर करेगी ये जनता।


कालीपद "प्रसाद'
© सर्वाधिकार सुरक्षित













13 comments:

  1. अहंकार ही विनाश की जननी है..बहुत सुन्दर सटीक रचना आभार..

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  2. अहंकार विनाश की और ले जाता है,,,,

    recent post: वह सुनयना थी,

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  3. अहंकार ही सर्वनाश का कारण बनता है...

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  4. बहुत सटीक बात कही आपने, पर आज सारा जमाना अहंकार में डूबा है, जो कहता है मुझे अहंकार नही है वो उससे भी ज्यादा अहंकारी निकलता है. बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  5. सब कुछ रब का बनाया...फिर भी अहंकार??

    बहुत सुन्दर भाव
    सादर
    अनु

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  6. बहुत समसामयिक रचना |अहंकार सभी परेशानियों का जनक है और विनाश के लिए जिम्मेदार |अहंकार से बचना ही श्रेयस्कर होता है |
    आशा

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  7. शुक्रिया आपकी सद्य टिपण्णी का

    जब मैं था तब गुरु नहीं .........अहंकार देही को ही सबसे पहले मारता है .

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  8. bahut hi sundar rachana ......ahankar manushy ka sabse bada dushaman hai .....badhai bhai Kaliprassad ji .

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  9. आपकी यह बेहतरीन रचना शुकरवार यानी 11/01/2013 को

    http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर लिंक की जाएगी…
    इस संदर्भ में आप के सुझाव का स्वागत है।

    सूचनार्थ,

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  10. अभी अभी तो हुआ है इन्हें अहंकार ...अभी कुछ दिन महाभारत चलेगी,रामायण चलेगी ...फिर होगा अवतार ..और सब ख़त्म ..सार्थक रचना।

    recent poem : मायने बदल गऐ

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  11. सार्थक लेखन ...

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  12. इस सरकार का देश की जनता से कोई लेना देना ही नहीं है ...अभी तक तो ऐसा ही लगता है

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