न कुछ बोली ,न कोई हरक़त ,संगमरमर की मूर्ति थी ,
धोखा हुआ मुझे ,झुककर ज्यों देखा ,पाया
होंठो पर मुस्कान ,कनखियों से मुझे देख रही थी।
जिन्दगी और मौत ,दो अजीब पहलू है
एक दिन का उजाला ,दूसरा रात का अँधेरा है
गौर से देखो ,समझो यारो ,जिंदगी ,मौत
यारों कुछ नहीं ,छुपा छुपी का खेल है ।
दिल की यह आलम है कि उसमे कोई भाव नहीं
सुख,दुःख क्या है, इसका भी कोई इल्म नहीं
सुख में हँसता था ,दुःख में रोता था औरो के लिए
आँसूं के एक बूंद भी नहीं बचा अब अपने लिए।
संध्या आती है जुगनुयों को जगाने के लिए
नींद आती है सपनों को गले लगाने के लिए
सपने आते हैं चुपके से नज़र बचाके तुमको लेकर
मेरे तुम्हारे टूटे अरमानों से मिलाने के लिए।
सुन्दर एवं भावपूर्ण क्षणिकाएं ! बहुत बढ़िया !
ReplyDeleteअत्यंत सुन्दर एवं भावपूर्ण अभिव्यक्ति | बधाई |
ReplyDeleteTamasha-E-Zindagi
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बहुत बाव्पूर्ण रचना ... शाम आती है उनकी यादों के साथ .... उनसे मिलवाने के लिए ...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना..
ReplyDeleteवाह ... बहुत ही अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteसादर
बहुत बढ़िया आदरणीय-
ReplyDeleteआभार आपका ||
बहुत अच्छी प्रस्तुति !!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति,,,बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteRecent post: गरीबी रेखा की खोज
बहुत बढ़िया सर!
ReplyDeleteसादर
bahut hi bhawpurn.....rachna....
ReplyDeleteBehatareen
ReplyDeletevery nice
ReplyDeletebahut badhiyan
ReplyDeletebehtareen abhivyakti...
ReplyDeleteसुंदर भाव ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर,..........
ReplyDeleteआप भी पधारो आपका स्वागत है
pankajkrsah.blogspot.com
BEAUTI IS ONLY TO SEE NOT TO TOUCH
ReplyDeleteज्ञान प्रद -अद्धभुत अभिव्यक्ति !!
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