(सभी चित्र गूगल से साभार )
जन कोलाहलों से दूर , निर्जन में ,
बागों में नहीं वन में,
चमन की बहारों से दूर ,
प्रकृति के गोद में ,
वसुंधरा का प्यार जहाँ है ,
है सभी मेरे अनुकूल ,
जनम लिया मैं तुम्हारी तरह
एक छोटा सा 'वनफूल' ।।
झूम उठे मधुकर वृन्द ,
गूंज उठी भ्रमर वाणी,
झूम उठे वृक्ष लता सब ,
गुंज उठी मंगल वाणी ,
वन -जीवन के सुनापन में ,
मंगल गीत गाये अलिकूल ,
जनम लिया मैं तुम्हारी तरह
एक छोटा सा 'वनफूल' ।।
निष्ठूर बात झक झोरती मुझको
मैं क्या उसको झेल़ू ,
माली का संग मिला न कभी
वनमाली के संग मैं खेलूं ,
गोचारण में जहाँ आते थे
वनमाली के संग गोपकूल ,
जनम लिया मैं उसी वन में
एक छोटा सा 'वनफूल' ।।
वनमाली के साथ खेलते थे
गोपी और गोप गण,
रामचन्द्र के संग थी सीता
और थे वीर लक्ष्मण ,
निर्मल जल था प्यास बुझाने
आहारार्थ थे फल कंद -मूल ,
श्वेत पुष्प हार बनकर जनम लिए
छोटे छोटे हम वनफूल।।
वसन्त बात मुझको क्या कहती
मैं क्या उसको समझूँ ?
ह्रदय -वीणा के सप्त स्वर में
मैं किस स्वर को ढूंढुं ?
किसने छेड़ा ये स्वर लहरी
किस से हो गया यह भूल ?
जनम लिया मैं तुम्हारी तरह
एक छोटा सा 'वनफूल' ।।
मधुकर आये याचने को
मधुबाला मधु दो ,
अलिकुल गूंजकर बोले
रजबाला रज दो ,
निर्जन स्थान , बड़ा सुनसान
यौवन का जब खिला फुल ,
जनम लिया मैं सघन वन में
एक छोटा सा 'वनफूल' ।।
चमन में न कभी जनम लूँ मैं ,
बहारों में न खिलूँ ,
नगर बाला से दूर रहूँ और ,
वन लता के साथ खेलूं ,
घन -घोर देख पीक नाचे जैसे
वैसे नाचूँ सुध - बुध भूल ,
वनमाली ! हर जनम में मुझे बना देना
एक छोटा सा 'वनफूल'।।
रचना : कालीपद "प्रसाद"
©सर्वाधिकार सुरक्षित
खूबसूरत रचना ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.
ReplyDeletebahut khubsoorat rachna....sundar varnan
ReplyDeleteबेहतरीन रचना, सुंदर चित्र संकलन के साथ.
ReplyDeleteरामराम
बहुत बेहतरीन रचना...!!
ReplyDeleteसुन्दर चित्रों के साथ सुन्दर भावमय फूल खिले हैं आज ब्लॉग पे ...
ReplyDeleteवनफूल पर सुन्दर चित्र मय प्रस्तुति कोमल पदावली लिए .
ReplyDeleteमनोहारी चित्रों के साथ मनमोहिनी रचना ! अति सुंदर !
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन मनमोहक अभिव्यक्ति,,,सुंदर रचना,,,
ReplyDeleteRECENT POST: दीदार होता है,
bahut sundar srijnatmkta antarman ko chhooti huyee rchna.
ReplyDeleteसुन्दर चित्रों से सजी सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना! मेरी बधाई स्वीकारें।
ReplyDeleteचित्रों से सुसज्जित बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,आभार.
ReplyDeleteसुन्दर सचित्र रचना बहुत अच्छी लगी |
ReplyDeleteआशा
ReplyDeleteमनभावन चित्रों के साथ कविता के भाव जम रहे हैं.
अति सुन्दर काव्य ....
ReplyDeleteआभार राजेश कुमारी जी !
ReplyDeleteआभार कुलदीप ठाकुर जी !
ReplyDeleteवाह लाजवाब रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteअच्छी भाव प्रधान रचना है !
ReplyDeletesundar bhavpurn rachna
ReplyDeleteबनन में बागन में बगरो बसंत है
ReplyDeleteइस लाइन की याद दिला दी आपने
वाह खूब एक छोटा सा वन फूल
बहुत खुबसूरत रचना..आभार..
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति।
ReplyDeletesundar
ReplyDeletebahut sundar rachana ... abhaar
ReplyDeleteसहज सरल भाव
ReplyDeleteबहुत सरस ..........बनफूल की मनभावन कथा
ReplyDeleteसर्वोत्त्कृष्ट, अत्युत्तम लेख बधाई हो
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बहुत सुंदर रचना !!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..
ReplyDeleteसुन्दर शब्दों में पिरोई अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteBahut Sundar Bhao...
ReplyDeletekhubsurat rachna...
ReplyDeleteवाह!!! लाजवाब बहुत खूबसूरत रचना |
ReplyDeleteखूबसूरत फूल !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर , वनफूल की मनोदशा को व्याख्यायीत करती अच्छी रचना .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteआपकी यह रचना बहुत ही सुंदर है…
ReplyDeleteमैं स्वास्थ्य से संबंधित छेत्र में कार्य करता हूं यदि आप देखना चाहे तो कृपया यहां पर जायें
वेबसाइट
Sarkariexam Says thank You Very Much For Best Content I Really Like Your Hard Work. Thanks
ReplyDeleteamcallinone Says thank You Very Much For Best Content I Really Like Your Hard Work. Thanks
9curry Says thank You Very Much For Best Content I Really Like Your Hard Work. Thanks
अपने बहुत ही अच्छी जानकारी साँझा की है आपके इस पोस्ट को पढ़कर बहुत अच्छा लगा और इस ब्लॉग की यह खास बात है कि जो भी लिखा जाता है वो बहुत ही understandable होता है. Keep It Up
ReplyDeleteआपका ब्लॉग पर हमेशा ही बहुत अच्छी जानकारी दी जाती है ऐसे ही लिखते रहिये Thanks
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