Sunday 7 July 2013

केदारनाथ में प्रलय (भाग १)



मानव  के अत्यचार से ,प्रकृति हुई नाराज 
भक्तों  की क्या बात करें ,देव पर गिरा गाज।

लाखों  भक्तों की आस्था एकबार फिर डोला 
प्रलयंकारी बादलों ने केदारनाथ को मिटा डाला।

विनाश का अद्भुत दृश्य देख मन भर आया 
पलक झपकते ही क्रूर काल ने सबको निगल गया।

त्राहि त्राहि चीत्कार भक्तों की ,सैलाब में डूब गया 
पुण्य से स्वर्ग पाने की इच्छा लिए, धरती में समा गया।

बाल- वृद्ध- वनिता , मन में लिए ख्वाहिशें हजार 
गए केदारनाथ को करने  प्रार्थना "प्रभु करो हमें उद्धार।"

करे कोई, भरे कोई, गेहूं के साथ घुन भी पिस गया 
पापियों के पाप के साथ ,भक्तों का पुण्य भी बह गया। 

क्यों हुआ , कैसे हुआ , सब जानता है इंसान 
स्वार्थ में डूबकर अनजान का नाटक करता है इंसान।

काट काट कर पहाड़ों को बनाए रास्ता ,होटल,दूकान 
हरियाली का रक्षक वृक्षों का अब नहीं कहीं कोई निशान।

धरती नाराज है ,काँपती है गुस्से में थर थर   
भूकंप ,आंधी , बाड़ ,अनावृष्टि होता है अन्ततर।@

समझ जा,संभल जा मानव ,समझ धरती की इशारा
ना-समझी तेरी प्रलय लायेगा,जलमग्न होगा जग सारा। 



@अन्ततर=एक के अंत के बाद दूसरा घटित होता है 

कालिपद "प्रसाद"


©सर्वाधिकार सुरक्षित
 


17 comments:

  1. दुखद हो गया दृश्य सकल ही..

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  2. बहुत सार्थक प्रस्तुति...

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  3. बहुत ही दुखद स्थिति जिसे आपने सटीकता से अभिव्यक्त किया.

    रामराम.

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  4. क्या कहूं
    बढिया अभिव्यक्ति..

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  5. बहुत ही दुखद घटना.... सटीक अभिव्यक्ति .......!!

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  6. सटीक है भाई जी-

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  7. प्रकृति ने दी है चेतावनी
    सम्भल जा रे मानव
    छोड अपनी नादानी.....

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  8. सुन्दर अभिव्यक्ति । अनन्तर होता है अन्ततर नहीं ।

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    1. नीरज कुमार जी आपके टिपण्णी के लिए धन्यवाद ,परन्तु यह कहना चाहूँगा कि भाषामें" "अनन्तर " और "अन्ततर" दोनों शब्द है ."अनन्तर " का अर्थ होता है-निरंतर। लगातार। वि० [सं० न-अंतर,न० ब०] १. जिसके बीच में कोई अन्तर न हो। और "अन्ततर" का अर्थ होता है एक घटना के समाप्ति के कुछ समय के बाद दूसरा घटना घटित होता है।

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  9. भावपूर्ण प्रस्तुति |
    आशा

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  10. यह प्रकृति का क्रोध ही तो है जिसके मूल में मानव खुद है
    सार्थक रचना
    सादर!

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  11. सार्थक रचना ...लेकिन मानव चेतावनियों को कब समझा है
    जो अब समझेगा !

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  12. सटीक और सार्थक रचना !!
    आपके लेख मेरे ब्लोगर डेशबोर्ड पर नहीं आ पातें हैं जिसके कारण मुझे आपकी पोस्ट का पता ही नहीं चल पाता है !!

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  13. सहज काव्य -प्रतिक्रिया

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