Wednesday, 11 September 2013

गुरु वन्दना (रुबाइयाँ)

       
                                                                    




मन ,वुद्धि ,विवेक का स्रष्टा हो
ज्ञान विज्ञानं के तुम विधाता हो
ब्रह्मा  रूपेण हो सिरजनहार तुम
शतकोटि प्रणाम तुम्हे , मेरे ज्ञान-गुरु हो।

 २


संसार सागर के खिवैया तुम हो
मेरी डूबती  नांव के तुम नाविक हो
कभी इसपार तुम, तो कभी उसपार
विष्णु रूपेण तुम गुरु पालक  हो। 




अहँकार ,घमंड ,घृणा ,द्वेष ,ईर्षा
काम, क्रोध,लोभ ,मद-मोह ,तृष्णा
मेरे सभी अवगुणों के  संहारक हो तुम
हो सत्वगुण रक्षक मेरे गुरु शिवरूपा।

  ४ 


शतकोटि  प्रणाम तुम्हे ,तुम ब्रह्मा हो
शतकोटि  प्रणाम तुम्हे, तुम विष्णु हो
शतकोटि  प्रणाम तुम्हे, हे भोले शंकर!
शतसहस्र कोटि  प्रणाम,गुरु तुम परब्रह्म हो। 


कालीपद "प्रसाद "

©   सर्वाधिकार सुरक्षित


37 comments:

  1. बहुत बढ़िया-
    सादर नमन-

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  2. परमहंस के चरणों में मांथा अपना झुकाता हूँ बहुत सुन्दर

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  3. अनुपम शब्द और रचना
    बहुत सुन्दर सर

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  4. बहुत सुन्दर… आप श्री रामकृष्ण परमहंस के बहुत बड़े भक्त हैं ऐसा प्रतीत होता है…

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    1. करोड़ों में एक नगण्य सेवक हूँ .धन्यवाद

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  5. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल गुरुवार (12-09-2013) को "ब्लॉग प्रसारण : अंक 114" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है.

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    1. राजेंद्र कुमार जी ,आपका आभार

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    2. pl one time chek blogprsaran.....

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  6. dil ke bhawon ka sundar prakatikaran .....

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  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी
    पोस्ट हिंदी
    ब्लॉगर्स चौपाल
    में शामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल
    {बृहस्पतिवार}
    12/09/2013
    को क्या बतलाऊँ अपना
    परिचय ..... - हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल - अंकः004
    पर लिंक की गयी है ,
    ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें. कृपया आप भी पधारें, आपके
    विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें. सादर ....राजीव कुमार झा

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    1. राजीव कुमार झा जी ,आपका आभार

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  8. बहुत सुन्दर प्रस्तुति !!

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  9. बहुत बढ़िया.. गुरुवर को शत-शत प्रणाम

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  10. बहुत सुंदर प्रस्तुति

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  11. सद्गुरु को नमन !

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  12. बहुत सुन्दर..गुरु को नमन,,

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  13. अहँकार ,घमंड ,घृणा ,द्वेष ,ईर्षा
    काम, क्रोध,लोभ ,मद-मोह ,तृष्णा
    मेरे सभी अवगुणों के संहारक हो तुम
    हो सत्वगुण रक्षक मेरे गुरु शिवरूपा।

    एक से चार तक अद्भुत गुरु महिमा प्रणाम

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  14. तस्मै श्री गरुवे नमः

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  15. आपका आभार दर्शन जन्ग्र जी !

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  16. गुरु को प्रणाम। सुंदर प्रस्तुति।

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  17. गुरु को प्रणाम। सुंदर प्रस्तुति।

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  18. बढ़िया स्तुति गुरु के चरणों में |
    आशा

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  19. बहुत सुन्दर रचना

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  20. बहुत सुन्दर गुरु वंदना काश सच्चे गुरु मिल जाएँ तो जीवन सुधर जाए आइये सब अंध भक्ति से बचें
    भ्रमर ५

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  21. अति सुन्दर गुरु वंदना ..

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  22. खुबसूरत अभिवयक्ति...

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  23. सुरु महिमा का गान लिए .. उनके चरणों में आत्म वंदन करते सुन्दर छंद ...

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    1. कृपया सुरु को गुरु पढ़ें ...

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  24. आपकी यह रचना बहुत ही सुंदर है…
    मैं स्वास्थ्य से संबंधित छेत्र में कार्य करता हूं यदि आप देखना चाहे तो कृपया यहां पर जायें
    वेबसाइट

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