१
मन ,वुद्धि ,विवेक का स्रष्टा हो
ज्ञान विज्ञानं के तुम विधाता हो
ब्रह्मा रूपेण हो सिरजनहार तुम
शतकोटि प्रणाम तुम्हे , मेरे ज्ञान-गुरु हो।
२
संसार सागर के खिवैया तुम हो
मेरी डूबती नांव के तुम नाविक हो
कभी इसपार तुम, तो कभी उसपार
विष्णु रूपेण तुम गुरु पालक हो।
३
अहँकार ,घमंड ,घृणा ,द्वेष ,ईर्षा
काम, क्रोध,लोभ ,मद-मोह ,तृष्णा
मेरे सभी अवगुणों के संहारक हो तुम
हो सत्वगुण रक्षक मेरे गुरु शिवरूपा।
४
शतकोटि प्रणाम तुम्हे ,तुम ब्रह्मा हो
शतकोटि प्रणाम तुम्हे, तुम विष्णु हो
शतकोटि प्रणाम तुम्हे, हे भोले शंकर!
शतसहस्र कोटि प्रणाम,गुरु तुम परब्रह्म हो।
कालीपद "प्रसाद "
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बहुत बढ़िया-
ReplyDeleteसादर नमन-
परमहंस के चरणों में मांथा अपना झुकाता हूँ बहुत सुन्दर
ReplyDeleteअनुपम शब्द और रचना
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सर
सादर नमन
ReplyDeleteबहुत सुन्दर… आप श्री रामकृष्ण परमहंस के बहुत बड़े भक्त हैं ऐसा प्रतीत होता है…
ReplyDeleteकरोड़ों में एक नगण्य सेवक हूँ .धन्यवाद
Deleteआपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल गुरुवार (12-09-2013) को "ब्लॉग प्रसारण : अंक 114" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है.
ReplyDeleteराजेंद्र कुमार जी ,आपका आभार
Deletepl one time chek blogprsaran.....
Deleteवाह ! सुंदर !
ReplyDeleteबहुत बढिया
ReplyDeletedil ke bhawon ka sundar prakatikaran .....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी
ReplyDeleteपोस्ट हिंदी
ब्लॉगर्स चौपाल में शामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल
{बृहस्पतिवार}
12/09/2013 को क्या बतलाऊँ अपना
परिचय ..... - हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल - अंकः004 पर लिंक की गयी है ,
ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें. कृपया आप भी पधारें, आपके
विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें. सादर ....राजीव कुमार झा
राजीव कुमार झा जी ,आपका आभार
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति !!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया.. गुरुवर को शत-शत प्रणाम
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteसद्गुरु को नमन !
ReplyDeleteभावपूर्ण .... नमन
ReplyDeleteबहुत सुन्दर..गुरु को नमन,,
ReplyDeletebahut sundar....naman
ReplyDeleteअहँकार ,घमंड ,घृणा ,द्वेष ,ईर्षा
ReplyDeleteकाम, क्रोध,लोभ ,मद-मोह ,तृष्णा
मेरे सभी अवगुणों के संहारक हो तुम
हो सत्वगुण रक्षक मेरे गुरु शिवरूपा।
एक से चार तक अद्भुत गुरु महिमा प्रणाम
waah bahut sundar . badhai aapko
ReplyDeleteतस्मै श्री गरुवे नमः
ReplyDeleteसुंदर सृजन ! उत्कृष्ट रचना, !!
ReplyDeleteRECENT POST : बिखरे स्वर.
आपका आभार दर्शन जन्ग्र जी !
ReplyDeleteगुरु को प्रणाम। सुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteगुरु को प्रणाम। सुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteबढ़िया स्तुति गुरु के चरणों में |
ReplyDeleteआशा
sundar prastuti. guru ko naman
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गुरु वंदना काश सच्चे गुरु मिल जाएँ तो जीवन सुधर जाए आइये सब अंध भक्ति से बचें
ReplyDeleteभ्रमर ५
अति सुन्दर गुरु वंदना ..
ReplyDeleteखुबसूरत अभिवयक्ति...
ReplyDeleteसुरु महिमा का गान लिए .. उनके चरणों में आत्म वंदन करते सुन्दर छंद ...
ReplyDeleteकृपया सुरु को गुरु पढ़ें ...
Deleteआपकी यह रचना बहुत ही सुंदर है…
ReplyDeleteमैं स्वास्थ्य से संबंधित छेत्र में कार्य करता हूं यदि आप देखना चाहे तो कृपया यहां पर जायें
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