अलमारी को साफ़ करते करते
कुछ पुरानी चीजों पर अचानक
जैसे ही नजर पड़ गई…….
हँसते खेलते ,लड़ते झगड़ते
बचपन की याद
यूँ ही अनायास ताज़ा हो गई.…….
ये पुरानी चीजें
जो यादों को सालों
सम्भाल कर रखती है ,
स्मृति के सही सच्चे पहरेदार हैं।
वे सब दोस्त …….
दोस्तों के साथ गप्पें करना
बेफिक्र घूमना फिरना
पेड़ पर चढ़ना
तालाब में तैरना
पानी में छुपा छुपी का
खेल खेलना ….
चिल चिलाती धुप में
सब से आँख बचाकर
सेठ के बगीचे से
आम,अमरुद चुराना
चुराकर दोस्तों में बाँट कर खाना
चौकीदार की लाठी की ठक ठक
आवाज सुनकर भाग जाना ………
स्कुल में लंच की घंटी बजते ही
खिड़की से कूदकर भागना
गुमटी वाले दूकान जाना
एक पैसे का आलू बंडा
केक खरीदो हर एक आना
आज तो केवल यादे है
लौटकर नहीं आयेगा वो ज़माना …
……आँखे मूंदो तो लगता है
यह तो कल की बात है।
पर समय का चक्र……… ???
चक्र बहुत घूम चका है ,
घूमकर बहुत आगे बढ़ चुका है।
यह चक्र केवल आगे घूमता है
विपरीत दिशा में नहीं घूमता
यादों को याद ही रहने देता है
बचपन से मुलाकात नहीं कराता।
बचपन में बचपना है ,सभी को भाता है
एकबार जो बिछुड़ गया,फिर नहीं मिलता है।
कालीपद "प्रसाद "
© सर्वाधिकार सुरक्षित1
अच्छा है
ReplyDeleteयादें अमूल्य होती है इन्हें संभाल कर रखना चाहिए..्सुन्दर प्रस्तुति..मेरी नई पोस्ट में आप का स्वागत है..
ReplyDeleteसुंदर स्मृतियाँ .....
ReplyDeleteबचपन की यादें ही होती हैं बीत जाने के बाद जो साथ रहती हैं उम्र भर ...
ReplyDeleteमाना के एक बार गया हुआ वक्त वापस नहीं आता मगर यह बचपन का खज़ाना ही तो ज़िंदगी की पूंजी है जो एक खूबसूरत सी याद बनकर सदा आपके साथ रहती है, तो फिर जब वह सुनहरे पल आप से दूर हुए ही नहीं तो बिछड़ना कैसा :)
ReplyDeleteप्रेरणा देती कविता।
ReplyDeleteबहुत उम्दा कविता
ReplyDeleteयादों की सुन्दर स्मृतियाँ ,,
ReplyDeleteगणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाए !
RECENT POST : समझ में आया बापू .
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. हिंदी लेखक मंच पर आप को सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपके लिए यह हिंदी लेखक मंच तैयार है। हम आपका सह्य दिल से स्वागत करते है। कृपया आप भी पधारें, आपका योगदान हमारे लिए "अमोल" होगा |
ReplyDeleteमैं रह गया अकेला ..... - हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल - अंकः003
बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteबहुत बहुत आभार आपका !
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ReplyDeletedusre blog ka kament tha
Deleteबचपन की यादे कभी पीछा नहीं छोड़ती
ReplyDeleteयादें जितनी सुखद उन्हें समेट कर रखने वाली वो चीजें भी उतनी ही सुखद।
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि का लिंक आज मंगलवार (10-09-2013) को मंगलवारीय चर्चा 1364 --गणेशचतुर्थी पर विशेषमें "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
आप सबको गणेशोत्सव की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बढ़िया----
ReplyDeleteआभार
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यादों में विचरण करते यही लगता है ...व्तो कल की ही बाते हैं .... सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteबचपन की शरारतों से भरी खुबसूरत रचना !!
ReplyDeleteसच बचपन के वो दिन अब सिर्फ ख्वाबों में.… काश ! इसे लौटाया जा सकता
बहुत ही सुन्दर..स्मृतियाँ अमूल्य होती हैं !
ReplyDeleteबचपन की यादें, रह रहकर याद आती हैं।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर स्मृतियां, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
यादें....ये यादें....
ReplyDeleteसुन्दर!
ReplyDeleteगुजरा हुआ ज़माना कब लौट के आता है ,
ReplyDeleteमन को हमेशा भाता है .
bachpan isi tarah reh reh kar yaad aata rehta hai
ReplyDeleteजीवन के नायब क्षणों की याद खुबसूरत
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteआपकी यह रचना बहुत ही सुंदर है…
ReplyDeleteमैं स्वास्थ्य से संबंधित छेत्र में कार्य करता हूं यदि आप देखना चाहे तो कृपया यहां पर जायें
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