दुर्गा सप्तसती में" क्षमा प्रार्थना" के कुछ श्लोक हैं। सब श्लोक संस्कृत में हैं.। सब लोग उसको पढ़ नहीं पाते। इसीलिए मैंने सोचा क्यों न हिंदी में ही उसे अनुवाद किया जाय , परन्तु शब्दश : अनुवाद संभव नहीं हो पाया। इसीलिए वही भाव को रुबैयाँ छन्द में प्रस्तुत करने की कोशिश की है, शायद आपको पसंद आये।
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दिन रात के काम में मेरे ,होते हैं अपराध हजारों
मानकर मुझे दास अपना , मुझको क्षमा करो ,
ना आवाहन ,ना विसर्जन , ना पूजा विधि जानू मैं
मूढ़ जानकर कृपा करके ,मुझको क्षमा करो।।
मन्त्र हीन क्रिया हीन , जप- तप हीन हूँ मैं
जैसा समझा पूजा किया ,ज्ञान वुद्धिहीन हूँ मैं
दया का सागर,कृपा सिन्धु ,इसे स्वीकार करो
तुम्हारी कृपा से पूर्ण हो पूजा ,विनती करता हूँ मैं।।
न ज्ञानी हूँ न ध्यानी हूँ , मूढमति अज्ञानी हूँ
हूँ अपराधी मैं ,पर शरण तुम्हारे आया हूँ
जो भी दंड देना चाहो ,मुझे सब स्वीकार है
शरणागत हूँ ,निराश न करो ,दया का पात्र हूँ।।
अज्ञानता से , वुद्धि भ्रम से ,भूल हुए अत्यधिक
क्षमा करो प्रभु /माँ मुझे यदि कुछ किया कम अधिक
निज इच्छा करो कृपा ,करो भूल चुक माफ़
मेरी कामना पूर्ण करो ,मांगू नहीं कुछ अधिक।।
कालीपद "प्रसाद "
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दिन रात के काम में मेरे ,होते हैं अपराध हजारों
मानकर मुझे दास अपना , मुझको क्षमा करो ,
ना आवाहन ,ना विसर्जन , ना पूजा विधि जानू मैं
मूढ़ जानकर कृपा करके ,मुझको क्षमा करो।।
मन्त्र हीन क्रिया हीन , जप- तप हीन हूँ मैं
जैसा समझा पूजा किया ,ज्ञान वुद्धिहीन हूँ मैं
दया का सागर,कृपा सिन्धु ,इसे स्वीकार करो
तुम्हारी कृपा से पूर्ण हो पूजा ,विनती करता हूँ मैं।।
न ज्ञानी हूँ न ध्यानी हूँ , मूढमति अज्ञानी हूँ
हूँ अपराधी मैं ,पर शरण तुम्हारे आया हूँ
जो भी दंड देना चाहो ,मुझे सब स्वीकार है
शरणागत हूँ ,निराश न करो ,दया का पात्र हूँ।।
अज्ञानता से , वुद्धि भ्रम से ,भूल हुए अत्यधिक
क्षमा करो प्रभु /माँ मुझे यदि कुछ किया कम अधिक
निज इच्छा करो कृपा ,करो भूल चुक माफ़
मेरी कामना पूर्ण करो ,मांगू नहीं कुछ अधिक।।
कालीपद "प्रसाद "
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वाह, बड़े ही सहज भाव, उत्कृष्ट भावानुवाद
ReplyDeleteसुंदर !
ReplyDeleteउपयोगी सार्थक प्रस्तुति
ReplyDeleteसादर
lovely words...nice lines!
ReplyDeleteबहुत सुंदर ...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया भाव अतिसुन्दर
ReplyDeleteअति सुनदर
ReplyDeleteसहज ही लिख दिया अनुवाद ... सरल भाषा में अर्थ समझ आ जाए तो सीधे दिल से जुड़ जाता है ... आभार ...
ReplyDeleteआत्मालोचना का श्रेष्ठ भाव प्रकट!! बहुत ही अच्छा…
ReplyDeleteसहज और सुंदर भाव
ReplyDeleteअति उत्तम
ReplyDelete:-)
बहुत सुनदर
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रार्थना अनुवाद !!
ReplyDeleteसुंदर भावों की बेहतरीन रचना !!! बधाई
ReplyDeleteRECENT POST : बिखरे स्वर.
सार्थक प्रस्तुति काली प्रसाद जी ......यहाँ मृत्युलोक में कहाँ कोई पूजा की विधि जानता है
ReplyDeleteसब अपने मन से जो ठीक समझते हैं करते हैं .....आपने सर्व उपयोगी कार्य किया .बधाई
बहुत सार्थक और सुन्दर कार्य, सुन्दर प्रस्तुति ..
ReplyDeleteस्तुत्य कार्य है आप का करो स्वीकार प्रणाम हमारे शतश :
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति-
ReplyDeleteआभार भाई
बहुत बढ़िया प्रस्तुति-
ReplyDeleteआभार भाई
बहुत सुन्दर प्रस्तुति !!
ReplyDeleteबहुत सुंदर, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
bahut sundar , sahjta se samjh aane wala
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कामना .. बहुत सुन्दर प्रार्थना .. अत्यंत सरल परन्तु ह्रदय ग्राही!
ReplyDeleteहार्दिक बधाई सुन्दर अनुवाद के लिए.. जय माता रानी !
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeletedownloading sites के प्रीमियम अकाउंट के यूजर नाम और पासवर्ड
sundar... Jay Mata Di !
ReplyDeletesundar... Jay Mata Di !
ReplyDeleteबेहद सुंदर भाव रचना बधाई
ReplyDeletebahut sundar badhai
ReplyDeleteसुंदर भाव ..
ReplyDeleteसुंदर भाव ..
ReplyDeleteवाह बहुत खूब
ReplyDeleteसुन्दर भावानुवाद!
ReplyDeletewah! bahut sundar....
ReplyDeleteआपकी यह रचना बहुत ही सुंदर है…
ReplyDeleteमैं स्वास्थ्य से संबंधित छेत्र में कार्य करता हूं यदि आप देखना चाहे तो कृपया यहां पर जायें
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