हे निराकार निर्गुण, कहो कहाँ छुपे हो तुम
ढूंढ़ु कहाँ बतलाओ, किस रूप में हो तुम
हर घड़ी बदलते, अनन्त रूप तुम्हारा
कुछ देर ठहरकर, पहचान अपना कराओ तुम।
पल पल बदलते, रूप तुम्हारा
पल पल बदलती, तुम्हारी सत्ता
पल पल बदलती, तुम्हारी स्थिति
पलपल बदलती, हमारी जिंदगी।
तुम हो सर्वोपरि शिरोमणि सर्वशक्तिशाली
तुम हो सर्वेश्वर सिरमौर सर्वक्षमताशाली
कृपासिंधु दीनबन्धु तुम हो परोपकारी
तुम हो शीलवन्त सर्वव्यापी सर्वगुणशाली।
कृपालु हो ,दयालु हो, हो तुम वनमाली
गौ पर असीम कृपा तुम्हारा, करते हो रखवाली
सखा तुम्हारा समर्पित, घर तुम्हारा जग सारा
मुझे बना लो सेवक अपना, करूँगा तुम्हारी रखवाली।
कालीपद "प्रसाद "
© सर्वाधिकार सुरक्षित
बहुत ही सुंदर रचना.
ReplyDeleteरामराम.
विनय एवँ आस्था को निरूपित करती अनुपम रचना ! बहुत सुंदर !
ReplyDeleteबेहतरीन रचना.....
ReplyDeleteसादर
अनु
बहुत खूब,सुंदर उत्कृष्ट रचना !
ReplyDeleteRECENT POST : हल निकलेगा
शरणागतवत्सल प्रभु की कृपा बनी रहे सब पर!
ReplyDeleteभावपूर्ण याचना...... सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना ....
ReplyDelete:-)
आपका बहुत बहुत आभार दर्शन जी !
ReplyDeleteयही है तुलसी दास्य भाव की भक्ति जहां पूर्ण समर्पण हैं।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव.
ReplyDeleteसुंदर भावपूर्ण रचना !
ReplyDeleteप्रशंसनीय रचना - बधाई
ReplyDeleteकविता मंच पर .... बहुत दिनों में आज मिली है साँझ अकेली :)
अहा! अति सुन्दर.. उत्कृष्ट भाव..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव...
ReplyDeleteaastha se paripurab bhav liye bahut sundar rachna
ReplyDeletenc post sr
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रार्थना . गहन भाव
ReplyDeleteसुन्दर वंदना-
ReplyDeleteईश्वर की कृपा बनी रहे-
आभार आदरणीय-
सुंदर स्तुति ....
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति ।
ReplyDeleteनिराकार को समर्पित सुंदर भाव
ReplyDeleteअति सुन्दर रचना.
ReplyDeleteअत्यंत सुंदर भावोस से ओतप्रोत शानदार रचना ..हार्दिक बधाई
ReplyDeleteआओ, हम सब राह देखते,
ReplyDeleteनित अधर्म का स्याह देखते।
wah sundar bhav liye hue sundar rachna
ReplyDeleteखूबसूरत शब्द रचना
ReplyDeleteआपकी यह रचना बहुत ही सुंदर है…
ReplyDeleteमैं स्वास्थ्य से संबंधित छेत्र में कार्य करता हूं यदि आप देखना चाहे तो कृपया यहां पर जायें
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