Wednesday, 19 November 2014

आईना !*



कभी किसी से कुछ नहीं कहता आईना
चुप रहकर भी सबकुछ कह देता है आईना !
बुरा हो या अच्छा हो ,सूरत या सीरत
उसका हुबहू तस्वीर दिखा देता है आईना !
आईना से कभी नहीं छुपता है कोई झूठ
चेहरे की रंगत देख,तस्वीर खींच देता है आईना !
गिरगिट सा हरघडी,कितना भी रंग बदले मन
चेहरे पर हर रंग का अक्स देख लेता है आईना !
भ्रम के चौराहे,भटकता मन देखता है जब आईना
मन को सही रास्ता दिखा देता है आईना |
घबराओ नहीं “प्रसाद” गर दिल तुम्हारा सच्चा है
तस्वीर भी खुबसूरत दिखा देता है आईना !
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कालीपद “प्रसाद”
सर्वाधिकार सुरक्षित

11 comments:

  1. दर्पण झूठ न बोले...बहुत सुन्दर

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  3. आईना जिंदगी के हकीकत को वयां करता है !
    बहुत खूब

    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है

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  4. बहुत सुन्दर गजल ,सच्चे दिलवालों की तश्वीर खुबसूरत दिखती है .

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  5. एक आइना ही है जो हर किसी की हकीकत जानता है ... लाजवाब ...

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  6. yah aaina hi to hota hai jo jhuth nahi bolta .....bahut sundar

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  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (23-11-2014) को "काठी का दर्द" (चर्चा मंच 1806) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच के सभी पाठकों को
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  8. सच्चाई बयां करती रचना

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