कभी किसी से कुछ नहीं कहता आईना
चुप रहकर भी सबकुछ कह देता
है आईना !
बुरा हो या अच्छा हो ,सूरत
या सीरत
उसका हुबहू तस्वीर दिखा
देता है आईना !
आईना से कभी नहीं छुपता है
कोई झूठ
चेहरे की रंगत देख,तस्वीर खींच
देता है आईना !
गिरगिट सा हरघडी,कितना भी
रंग बदले मन
चेहरे पर हर रंग का अक्स
देख लेता है आईना !
भ्रम के चौराहे,भटकता मन देखता
है जब आईना
मन को सही रास्ता दिखा देता
है आईना |
घबराओ नहीं “प्रसाद” गर दिल
तुम्हारा सच्चा है
तस्वीर भी खुबसूरत दिखा
देता है आईना !
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कालीपद “प्रसाद”
सर्वाधिकार सुरक्षित
सच्ची अभिव्यक्ति
ReplyDeleteदर्पण झूठ न बोले...बहुत सुन्दर
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ReplyDeleteआईना जिंदगी के हकीकत को वयां करता है !
ReplyDeleteबहुत खूब
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है
बहुत सुन्दर गजल ,सच्चे दिलवालों की तश्वीर खुबसूरत दिखती है .
ReplyDeleteएक आइना ही है जो हर किसी की हकीकत जानता है ... लाजवाब ...
ReplyDeleteyah aaina hi to hota hai jo jhuth nahi bolta .....bahut sundar
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (23-11-2014) को "काठी का दर्द" (चर्चा मंच 1806) पर भी होगी।
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चर्चा मंच के सभी पाठकों को
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
अतिसुन्दर रचना ।
ReplyDeleteसच्चाई बयां करती रचना
ReplyDeleteवाह ,लाजवाब
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