Saturday, 8 November 2014

एक दिन तुम मेरी दुल्हन बनोगी !**



तमन्ना है दीदार करूँ, मुस्कुराता चेहरा तेरा  

देख तनी भृकुटी तेरी, है होश उड़ जाता मेरा |

गर थोडा हँसकर बोल दे,क्या बिगड़ेगा तेरा ?

बहार आएगी ,गुल चमन में खिलेगा मेरा !

नकली ही सही,दो लफ्ज मीठे बोलकर देखो

तुम पर जिंदगी कुर्बान, यह है वादा मेरा !

एकबार हाथ, मेरे हाथ में देकर तो देखो

नहीं छूटेगा जिंदगी भर ,यह है वादा मेरा !

छोड़ संकोच,नाराजगी तुम, कदम बढ़ा के देखो

यकीं है तुम मेरी दुल्हन बनोगी, विश्वास सदा मेरा |

कालीपद "प्रसाद"
सर्वाधिकार सुरक्षित

7 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...

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  2. सुन्दर रचना !
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है !

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  3. उम्दा रचना है

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  4. वाह ... लाजवाब प्रस्तुति ...

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