Friday, 30 January 2015

नेता और भ्रष्टाचार! **





 गर नेता भ्रष्टाचार मुक्त होता ,भारत एक विकसित देश होता,
 नेता गर इमानदार होता ,कर्मचारी भी नेताओं से खौप खाता l

 लुट का नोट नेता रखता है,बक्से,बोरे,गाडी और विदेशी बैंको में
 बिस्तर के नीचे,निवेशकर बेनामी जायदाद और सोने के गहने में l 

सौ कदम क्या चले अभी अभी ,घर से निकलकर बरखुरदार ,
करने लगे गुणगान खुद,अपनी चाल चलन और संस्कार पर l 

जब से बैठा है सिंहासन पर,कालाधन का रंग हो गया सफ़ेद
अंगूर खट्टा है या मीठा,लग गया है पता,दोनों में क्या है भेद l

डंका पीटना छोड़कर गर,सब नेता काम पर लगाए ध्यान
जनता का संकट दूर होगा, भारत का होगा कुछ कल्याण l

संसार में न तुम्हारा कोई मित्र है,न कोई शत्रु है जन्मजात
शत्रु और मित्र बनाते उन्हें ,तुम्हारे अपने विचार और बात l


कालीपद "प्रसाद"
सर्वाधिकार सुरक्षित  

8 comments:

  1. सार्थक प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (31-01-2015) को "नये बहाने लिखने के..." (चर्चा-1875) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. सार्थक प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (31-01-2015) को "नये बहाने लिखने के..." (चर्चा-1875) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. आपका आभार डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी

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  4. भ्रष्टाचार का कैंसर है यहाँ .......लाइलाज

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  5. यही तो समस्या है ... भारत निर्माण की नहीं सब अपने निर्माण की ही सोचते हैं ...

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  6. बहुत सटीक प्रस्तुति...

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  7. नेता ईमानदारी को ऐसे ही खा गए हैं जैसे लालू ने चारा खाया था .... सुन्दर शब्द रचना
    http://savanxxx.blogspot.in

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