मेरे विचार और अनुभुतियों की गुलिस्ताँ में आपका स्वागत है |.... ना छंदों का ज्ञान,न गीत, न ग़ज़ल लिखता हूँ ....दिल-आकाश-उपज,अभ्रों को शब्द देता हूँ ........................................................................ ............. इसे जो सुन सके निपुण वो हैं प्रवुद्ध ज्ञानी...... विनम्र हो झुककर उन्हें मैं प्रणाम करता हूँ |
अबोध के लिए कुछ भी बोलने की छूट जो रहती हैं इसलिए सब चलता है
ReplyDeleteहर कोई सीख रहा है मैं भी सीख ही रही हूँ आप सबसे
ReplyDeleteआभार