Monday, 22 August 2016

माँ

                                                                           
माँ

भाव भरा है मातृ दिल, बहता जैसे नीर
देख कष्ट संतान के, माता हुई अधीर

पशु पक्षी इन्सान में, माँ हैं एक समान
सबसे पहले सोचती, बच्चे उनकी जान

चिड़िया चुगती चोंच से, मिला चोंच से चोंच
माँ लाती चुन कर सकल, दाने है आलोच

कभी कहीं खतरा नहीं, जब माँ होती पास 
बच्चे इसको जानते, करते हैं अहसास

धन्य धन्य मायें सभी, धन्य सभी संतान
करती रक्षा प्रेम से, पक्षी या इन्सान

माता है सबसे बड़ी, दूजा हैं भगवान
शीश झुका आशीष लो, कर माँ का सम्मान 

©कालीपद ‘प्रसाद

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