Monday, 29 August 2016

ग़ज़ल

याँ कुछ लोग जीते भलों के लिए
जिओ जिंदगी दूसरों के लिए |

गुणों की नहीं माँग दुख वास्ते
सकल गुण जरुरी सुखों के लिए |

मैं गर मुस्कुराऊं, तू मुँह मोड़ ले
शिखर क्यूँ चढूं पर्वतों के लिए ?

मैं किस किस की बातें सुनाऊं यहाँ
जले शमअ कोई शमों के लिए |

मकाँ और दुकाने जो भी हैं यहाँ
जवाँ के लिए ना बड़ों के लिए |


© कालीपद प्रसाद

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