Friday, 3 March 2017

ग़ज़ल

गीतिका
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बेवफा रिश्ते निभाने आ गया
आज मुझको आजमाने आ गया |
भूला बिसरा गीत यादों में बसा
दोस्त उसको गुनगुनाने आ गया |
कौन है जो यूँ ही दिल में आ बसा
अजनबी है बेठिकाने आ गया |
आज सुनलो बात मेरी बावफा
मैं तुहारे ही निशाने आ गया |
दिल में जो थी तिक्तता वर्षों दबी
द्वेष कड़वाहट सुनाने आगया |
याद कर फ़रियाद सब वो भूत का
शर्त पर मुझको झुकाने आ गया |
भूलकर अपमान जो झेला कभी
वो बडप्पन अब जताने आ गया |
क्या हुआ अद्भुत , बजा क्या झुनझुना
आज वो हमको मनाने आ गया |
हारा है हरबार जब भी वह लड़ा
अब सबक हमको सिखाने आ गया |
कालीपद ‘प्रसाद’

8 comments:

  1. सुंदर रचना

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 06 मार्च 2017 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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