Tuesday, 7 March 2017

ग़ज़ल

छुपे जो देशद्रोही, वीर उनकी जान लेते हैं
हमारे देश ऐसे वीर से ,बलिदान लेते हैं |
छुपाते रहते खुद को त्रास में, आतंकवादी सब
करे कोशिश जो भी, सैनिक उन्हें पहचान लेते हैं |
जो करते देश से दृढ़ प्रेम, वो हैं देश के सैनिक
निछावर प्राण करते खुद, नहीं अहसान लेते हैं |
पडोसी हैं छुपा विश्वासघाती, छली हैं वे
 वो ठग गद्दार पीछे से कटारें तान लेते हैं |
अनैतिक है डराना, जुल्म करना निर्बलों पर नित्य
डरा कमज़ोर को सब व्होट तो, बलवान लेते हैं |
सुहानी जिंदगी जीना सदा, आसान मत समझो
मुसीबत में फँसाकर इम्तिहां, भगवान लेते हैं |
महत्ता दान की बढती, मिटे गर मुफलिसों की भूख
भिखारी हाथ खाली है, पुजारी दान लेते है |
@ कालीपद ‘प्रसाद’

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