Friday, 22 September 2017

नव रात्रि में प्रार्थना


शैल की पुत्री शैलजा तू, 
सारे जग की यशस्विनी माँ,
योगिनी रूप, करती है तप 
है तू ही ब्रह्मचारिणी माँ |
चन्द्रघन्टा, कूष्मांडा रूप 
स्कन्दमाता, कात्यायनी माँ |
तू कालरात्री, महागौरी 
सिद्धि दात्री सिंह वाहिनी माँ |
मंगल करनी शरणागत का 
सर्वदा संकट मोचनी माँ |
असूर संहार हेतु है तू 
पास, खड्ग, शूल धारिणी माँ |
दैहिक मानसिक कष्ट मेरा 
दूर कर, शोक बिनाशिनी माँ |
तू सर्व कर्म फल प्रदायिनी 
महिष मर्दिनी, विन्द्ध वासिनी माँ |
ईमान मान धर्म आचरण 
सदैव तू धर्म धारिणी माँ |
करुना सागर, विपत्तारिणी 
तम हारिणि ज्ञान दायिनी माँ |
मंत्र तंत्र हीन, हूँ मैं दीन 
कृपा मुझ पर कर सुरेश्वरि माँ |
कालीपद 'प्रसाद'

1 comment:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (23-09-2017) को "अहसासों की शैतानियाँ" (चर्चा अंक 2736) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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