Wednesday 12 September 2018

ग़ज़ल


जमाने बाद देखा, प्यार पाने का ख़याल आया
मोहब्बत के तराने गुनगुनाने का खयाल आया |

अभी तक शर्म का पर्दा उठा है, नाक के ऊपर
कुतूहल से उसे अब, आजमाने का खयाल आया |

मिला है वक्त वर्षों बाद, आई दूर से जानम
तमन्ना भी जगी है, प्यार जताने का ख़याल आया  |

सनम के चेहरे में  मंद मुस्कान और आंखें बंद
यही सब देख मुझको मुस्कुराने का खयाल आया |

मिली है दिलनशी मेरी, कयामत बाद हमसे फिर
कहानी जो अधूरी थी, सुनाने का ख़याल आया |

दिलों में कुछ जगह भी थी, उन्हें अनुमान था निश्चित
मेरे दिल में भीअब इक,  घर बसाने का ख़याल आया |

बहारें वक्त पर आई नहीं, पर जीस्त बेपरवाह
अजल के साथ अब रिश्ते निभाने का ख़याल आया |

सनातन कॉल से जो लोग नीचे थे, उन्हें अब क्या
खुशी से तो नहीं, उनको उठाने का खयाल आया |

सियासत दाँव में सब पार्टियां देते प्रलोभन भी
सभी को अब  मोहब्बत ही, लुटाने का ख़याल आया |

कभी हमसे नहीं होती खफा वो दिलनशी मेरी
हुई है आजकालीतो मनाने का खयाल आया |

कालीपद 'प्रसाद'

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