दशहरे
में विजयोत्सव मनाना तो उचित है
पर
रावण का पुतला जलाना क्या उचित है ?
पढ़िए
छै मुक्तक
1.
आदि काल से बुरा रावण को जलाया जाता है २८
बुराई पर सत्य की जय, यही बताया जाता है
लोभ, मोह, काम, क्रोध, हिंसा, द्वेष ये बुराई हैं
जलाने वाले क्या इन सबको जलाया जाता है ?
२.
बुराई सभी अपने अंदर हैं, उसको जलाओ २७
रावण को बदनाम कर उसका पुतला न जलाओ
हर इंसान के मन भीतर छुपा है एक रावण
उसे निकालो और सरेआम उसे ही जलाओ |
३,
सब बुराई के प्रपंच के आगोश में हो तुम२६
पुरानी रीति रिवाजों के बंधनों में हो तुम
स्वार्थ बस बंधन को नहीं तुम तोड़ना चाहते
क्षणिक सुख के लिए व्यर्थ रावण जलाते हो तुम |
४.
४.
सीता हरण कर उसने गंभीर गलती की थी
पर लंका में सीता को भी,हानि नहीं की थी
प्रकांड विद्वान थे, राम भी उसे मानते थे
मृत्यु शय्या पर राम को नैतिक शिक्षा दी थी |
५.
जिस से शिक्षा ली जाए, वह तो गुरु होता है
यही बात शास्त्र पुराण दृढ़ता से कहता है
राम ने रावण से राजनीति की शिक्षा ली
शिष्य का पूजन, गुरु का दाहन
न्याय होता है ?
६
राजनीति का खेल होता सर्वथा निराले
आज भी चल रहा है आप जरा आजमा ले
क्या आज दुष्ट नेता को जलाया जाता है?
दिमाग का द्वार खोलिए, होने दे उजाले |
कालीपद 'प्रसाद'
सर्वाधिकार सुरक्षित
सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteजी आदरणीय सार्थक रचना | रावण की एक गलती पर सदियों उसका पुतला जलाकर उस की जो दुर्गति की उससे उसकी आत्मा को और सदियों चैन ना आयेगा | कितने रावण हर ओर बिखरे हैं पर किसी को कोई परवाह नही | रावण के तो फिर भी कुछ नैतिक मूल्य थे और उसकी औकात थी अभिमान करने की पर जो बिना औकात के रावण हैं उनका संहार कौन राम करे ? सादर
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ReplyDeleteNice information
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