Monday 27 August 2012

मैं एक अपूर्ण शिक्षक हूँ !


कौन महान वृत्त और कौन लघु वृत्त ?


शिक्षक हूँ  गणित का
कक्षा में जाता हूँ ,
पर समझ में नहीं आता
किन प्रश्नों को हल करूँ ?
टेक्स बुक में लिखे हुए
कुछ सीमित  अपदार्थ पश्नों को
या अंतिम कतार में, फटे पुराने कपड़ों में
जीवन जिग्घासा में , मौलिक प्रश्नों के साथ
अनेक भारों से लदकर
बने हुए उस    प्रश्न वाचक चिन्ह को ?

पढ़ाना है वृत्त ,
वृत्त का परिभाषा मैं क्या दूँ ?
किस वृत्त को मैं महान  वृत्त कहूँ ?
और किसको लघु वृत्त ?
मुझे  तो सब दीखता है एक समान।
दनों ही सीमित  है ,दोनों ही असीमित है ,
दोनों का शुरू वही है , अन्त भी वही है   ,
केवल अन्तर है पथ का
आपके और मेरे मत का ,
आप शायद दोनों प्रश्नों को हल कर दें ,
पर मैं ???
मैं एक अपूर्ण शिक्षक हूँ
क्योंकि दोनों में से
मैं एक  प्रश्न का जबाब  दे सकता हूँ।
दूसरा  प्रश्न सामने आते ही
अपने  अधूरे  ज्ञान को छुपाने के लिए
उसे डांट कर बैठा देता हूँ।

शिक्षक हूँ !
इसलिए एक ही प्रश्न का जबाब जनता हूँ।
अगर नेता होता .............
सभी  प्रश्नों का हल निकल लेता।
प्रश्न तथा प्रश्न वाचक चिन्ह
दोनों को एक साथ मिटा देता।

पहले उसके मुहँ पर कुछ दाना  फेंक कर
उसका मुहँ बन्द कर देता,
फिर आश्वाशन की झड़ी लगाकर
उसकी गरीबी मिटाने की भरोषा देता ,
इसपर भी यदि  वह  नहीं मानता  
तो गरीब  को ही मिटा देता।
इत्तेफ़ाक से यदि कोई
गरीब बच जाते........
तो
उस से कहते , आओ
हमारे साथ मिल जाओ
कांग्रेस या जनता ,
अकाली या भजपा ,
किसी से भी हाथ मिलाओ
और काली कमाई से धनवान बन जाओ,
संसद में चाहे हम किसी के
कितने भी करें खिचाई
और पार्टी चाहे कोई भी हो
हम सब हैं मौसेरे भाई।






रचना : कालीपद "प्रसाद "

©  सर्वाधिकार सुरक्षित



2 comments:

  1. गहन अर्थ लिए हुए....
    आज की दशा को गणित के माध्यम से समझना अच्छा लगा|

    सादर |

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  2. एक अलग से अंदाज में लिखा गहन अभिव्यक्ति...आभार..

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