सपने में तुम |
दिन भर की थकान से तन चूर चूर हो जाता है,
साँझ ढले विस्तार पर पड़ते ही आँख लग जाती है।
सपने में आहट तुम्हारे आने का एहसास होता है,
पायल की झंकार तुम्हारी द्वार की घंटी बजाती है।
बदन की खुशबु तुम्हारे ,मुझको मदहोश करती है,
नयन तुम्हारे अनंग का धनुष ,घायल मुझे करती है।
बालों में फिरती कोमल अँगुलियों का स्पर्श तुम्हारी
प्रकम्पित ,कामित तन मन को शीतल करती है।
मखमली कोमल होटों का स्पर्श, मुझको वर्षों याद है
बड़ी जतन से आज तक मैंने ,उसे जिन्दा रखा है।
चाहता हूँ बार बार करूँ एहसास ,सुनु मधुर वाणी ,
पर क्यों जाती हो ,ख़्वाब तोड़कर , मुझे होती है हैरानी।
बिजली की चमक ,मुस्कान तुम्हारे ,मेरे दिलको भाता है ,
बोलती नहीं तुम , पर मौन तुम्हारे ,सब कुछ बता देता है।
सपना का आभार मानु या मानु तुम्हारा आभार
सपना नहीं तो तुम नहीं ,तुम नहीं तो सपना ही बेकार।
रचना : कालीपद "प्रसाद'
सर्वाधिकार सुरक्षित
very nice....
ReplyDeletesundar abhivyakti ..
Deleteबहुत ही सुन्दर बेहतरीन अभिव्यक्ति,आभार.
ReplyDeleteबढ़िया अभिव्यक्ति-
ReplyDeleteशुभकामनायें स्वीकारें -
अनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने ... आभार
ReplyDeleteआभार यशोदा जी!
ReplyDeleteआभार राजेश कुमारी जी !
ReplyDeleteकोमल भावनाओं की अभिव्यक्ति ,सुंदर |
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteवाह भाई जी बहुत बहुत सुंदर अनुभूति
ReplyDeleteसुंदर रचना
बधाई आपको
कोमल भावनाओ की सुन्दर अभिव्यक्ति..आभार..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना | बधाई
ReplyDeletepar tumhare hone se hi huye ye sapne.
ReplyDeletenyc one
बहुत बेहतरीन सुंदर रचना !!!बधाई
ReplyDeleteRECENT POST: जुल्म
Behtreen Rachna
ReplyDeletebahut sunder rachna
ReplyDeletebahut sundar bhaavnaayein
ReplyDeleteकालीपद जी सहज और सुंदर अभिव्यक्ति। दिन भर की मेहनत से थका व्यक्ति जो कल्पना करता है उसे आपने कविता के माध्यम से शद्बों में बांधा है। यह सपना दोनों तरफ से हो सकता है स्त्री और पुरुष की तरफ से। जैसे पुरुष बालों में उंगलियों से सकुन महसूस करना चाहे वैसे उंगलियां फेर सकुन देने की मानसिकता भी रखे। आपकी कविता के माध्यम से मन में विचार आया लिख डाला। आप कविता को थोडा और आगे बढा कर परकाया प्रवेश कर सपनों की 'पायल वाली' की मंशा को प्रकट करने की कोशिश करेंगे तो कविता आसमान में विहार करने लगेगी।
ReplyDeletedrvtshinde.blogspot.com
आपके सुन्दर सुझाव के लिए धन्यवाद ,मैं प्रयत्न जरुर करूँगा
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति !
ReplyDeleteBahut khub...
ReplyDeleteभावभीनी अभिव्यक्ति,कालिपद जी...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ..सपनो की बिना जिंदगी आसां नहीं ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteसाझा करने के लिए आभार!
ReplyDeleteप्रेमरस सराबोर अभिव्यक्ति।
सादर
मधुरेश
शुभप्रभात !!
ReplyDeleteसपने ही तो होते अपने ........
सादर !!
बहुत खूब आपने दिल की बात कह दी सपनों में जीता पल सदा सुखद एहसास लिए .....
ReplyDeleteखूबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteस्वप्न करते हैं प्रतीक्षा,
ReplyDeleteसुलाने रातें बुलातीं।
नवसंवत्सर की शुभकामनायें
ReplyDeleteआपको आपके परिवार को हिन्दू नववर्ष
की मंगल कामनायें
bahut khub, shandar rachna
ReplyDeleteअति सुंदर...
ReplyDeletewah ye sapne aur tum. Khoobsurat kavita.
ReplyDeleteसपनों की बात ही निराली है...मानव की हर मंशा पूरी स्वप्नों ने कर डाली है, सुंदर प्रस्तुति !
ReplyDeleteक्या बात है ?सशक्त अभिव्यक्ति अनुभूत की .
ReplyDeleteख्यालों को जिवंत करती प्रेम और श्रृंगार की अनुपम रचना
ReplyDelete