सुहाने सपने |
सपने सभी देखते हैं। चाहे बच्चे हो ,जवान हो या बूढ़े। ये सपने कभी मन को गुदगुदा जाता है तो कभी डराता और कभी रात भर तंग करता है। देखिये कैसे ?
(यह पोस्ट करीब एक घंटा पहले पब्लिश किया गया था परंतु मुझे यह जानकारी दी गई की पोस्ट में कुछ गड़बड़ है। इसलिए दो बार टाइप कर पोस्ट कर रहा हूँ।असुविधा के लिए खेद है।)
सुहाने सपने !
तुम कौन हो ?
जो मुझे नींद में सताती हो
अनर्थ शोर गुल मचाती हो
मिठी नींद की गोद से उठकर
दूर, कहीं दूर निर्जन में ले जाकर
कभी आकाश ,कभी पाताल
कभी मृत्युलोक की सैर कराकर
वन,उपवन, कभी चमन की बहारे दिखाकर,
ख्वाबों के झरोखे से झांक कर
मिठी मिठी बातें कर
एक मीठा सा दर्द देकर
रातभर मुझको सताकर
स्वम न जाने कहाँ खो जाती हो।
तुम कौन हो ?
तुम कौन हो ?
बड़ी मासूम कातिल हो
राख में छुपी आग हो ,
मासूम चेहरा दिखाकर
लजिली आँखे झुकाकर
मिठी मिठी मुस्कुराकर
बिना तीर और तलवार के
तुम करती हो शिकार।
मूक आवाज में तुम बात करती हो
मुस्कुराकर अर्थ समझाती हो
किन्तु अर्थ समझने के पहले
मेरी मिठी नींद उड़ा के
हवा में आंचल लहरा के
काले काले अलकों से मुहं छुपाके
तुम परी राज्य में चली जाती हो
तुम कौन हो ?
तुम कौन हो ? सपने !
मुझ से छल न करो
मुझको ये हसीं सपने न दिखया करो
मेरी नींद में न बाधा बना करो
क्योंकि
मैं चेतना हूँ तो तुम सपना हो
मैं सत्य हूँ तो तुम अलीक हो
दूर , कहीं दूर की ये हरियालियाँ
न मुझको दिखाया करो
मुझको न सताया करो।
कालीपद " प्रसाद "
सर्वाधिकार सुरक्षित
देवनागरी में सुविधा होती -
ReplyDeleteशुभकामनायें-
kuchh gadbad hai ..dekhen ...
ReplyDeleteधन्यवाद डॉ निशाजी , मैंने ठीक कर दिया है .पहले सुशा लिपि में लिखा गया था
Deletebahut sundar rachna ...
Deleteसुहाने सपने अच्छे सपने बुने हैं आदरणीय बढ़िया है बधाई
ReplyDeleteअंतिम छंद में चल की जगह छल होना चाहिए..सुंदर कविता..आभार!
ReplyDeletesapne bhi hamara ek sansaar hain jiski rchna ham karte hain.
ReplyDeletebehtreen rchanaa.
सपने आशाएं भी जागते हैं...सुंदर कविता..आभार!
ReplyDeleteकल्पना के पंख लगाकर अनंत लोक की सैर कराते सुन्दर सपने ... बहुत खूब!
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति ,जिज्ञासा मूलक .खाब और नींद की बुनावट पर .
ReplyDeleteवाह...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना...
सादर
अनु
वाह !!! बहुत उम्दा अभिव्यक्ति,सुंदर रचना,,,
ReplyDeleteRecent post : होली की हुडदंग कमेंट्स के संग
आज की ब्लॉग बुलेटिन क्यों 'ठीक है' न !? - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..आभार
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति सपनों की,आभार.
ReplyDeleteकाश कि सपने सदा सच ही होते ... सुंदर रचना
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति | शुभकामनायें हम हिंदी चिट्ठाकार हैं
ReplyDeleteBHARTIY NARI
सुंदर रचना
ReplyDeleteवाह! बहुत सुन्दर प्रस्तुति . सपनों का अच्छा ताना बाना बुना आपने.
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति !!
ReplyDeleteसपने तो आएंगे ही नींद में ... ओर छलेंगे भी ...
ReplyDeleteउनको जाते में देखने की आदत डालना ठीक है ...
शानदार
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति!!
ReplyDeleteबड़ी ही सुन्दर प्रस्तुति, स्वप्न जीवन की राह बन जाते हैं।
ReplyDeleteसुनहरे सपनो के आकास में विचरण
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