गरीबों की मौत पर तमशा होता है ,गौर से देखिये
मुआबजा का एलान होता है ,पैसा नहीं ,तमाशा बंद कीजिये।
गरीबी के बदले गरीब को मिटाना आसान है
मिड डे भोजन में जहर देकर ,मारना बंद कीजिये।
हर ज़ुल्म के पीछे कोई शातिर कातिल जरुर है
कातिल को सुरक्षा देती सरकार ,जाँच की नौटंकी बंद कीजिये।
कानून का हवाला देते हैं ,क़ानून के बनाने वाले
अपने हक़ में क़ानून को तोड़ मरोड़ना बंद कीजिये।
लांघकर स्वार्थ की दहलीज़ ,बाहर आकर देखिये
रूह डर से काँप जाएगी ,निर्धन की जिंदगी जी कर देखिये।
गरीब के भूख पर ज्यादा भाषण मत झाड़िए
खाद्य सुरक्षा बिल ही नहीं ,उनकी भूख मिटाकर देखिये।
"जेड " सुरक्षा महँगी है,इसे आप रख लीजिये
" ब्रेड " सुरक्षा सस्ती है , इसे गरीब को दे दीजिये।
कालीपद "प्रसाद "
© सर्वाधिकार सुरक्षित
बहुत खूब सुनाया है!
ReplyDeleteउन्हें सुनना ही होगा!
ReplyDeleteबहुत सही कहा है |
आशा
kya baat hai....kash ye rachna un netaon tak pahunch jaye......
ReplyDeleteसही कहा है !!
ReplyDeleteKharee-kharee 1
ReplyDeleteआपका ह्रदय से आभार कुलदीप ठाकुर जी !
ReplyDeleteब्रेड सुविधा....
ReplyDeleteबहुत बढ़िया......
सार्थक रचना.
सादर
अनु
सही प्रश्न उठाया है और सही सुझाया है।
ReplyDeletebahut sundar
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteबहुत सटीक और सामयिक.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत खूब चेतावनी आभार इस पर सब चिंतन करें
ReplyDeleteबहुत बढिया सटीक और सामयिक..
ReplyDeleteवाह !!! बहुत लाजबाब अभिव्यक्ति,,,,
ReplyDeleteRECENT POST : तस्वीर नही बदली
सच्ची बातें अच्छी बातें कहती हुई बढिया प्रस्तुति ।
ReplyDeleteसार्थक रचना
ReplyDeleteआज के हालात का सही चित्रण...
ReplyDeleteबहुत खूब। सार्थक प्रस्तुति
ReplyDeleteसच बयानी के लिये जोरदार समर्थन !
ReplyDeleteगरीबी के बदले गरीब को मिटाना आसान है
ReplyDeleteमिड डे भोजन में जहर देकर ,मारना बंद कीजिये।
मन में बहुत आक्रोशा होता है ऐसी घटनाओं को देखकर । बेबाक रचना के लिए आप प्रशंसा के पात्र हैं ।
bebaq abhivyakti
ReplyDeleteशायद आपने सुना नहीं जिनके पास सत्ता होता हौं उनके पास कान नहीं होते
ReplyDeleteखरी खरी कही खूब कही .कहते रहिये यूं ही .बढ़िया पोस्ट है .
ReplyDeleteमन प्रशन्न हुआ , आपके बेबाक लेखन से प्रभावित भी यूं ही लिखते रहें
ReplyDeleteआक्रोश व्यक्त करती अर्थपूर्ण रचना!
ReplyDeleteआदरणीय आपकी यह प्रस्तुति 'निर्झर टाइम्स' पर लिंक की गई है।
ReplyDeletehttp://nirjhar.times.blogspot.in पर आपका स्वागत् है,कृपया अवलोकन करें।
सादर
अच्छी सुनिया है नेता "जिन "को। शरम ह्या उनको ज़रा भी नहीं है मुआवजा बांटते हैं।
ReplyDeleteजोश और आक्रोश का मिला जुला रूप ...लेखक कि कलम में ये ताकत होनी ही चाहिए
ReplyDeleteबेहतरीन रचना..
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