अंग्रेज़ शासक
थे ,
बहुत
रुढ़िवादी थे
सोचते थे
भारतवासी
कब मिलेगी इनसे
आज़ादी ?
खाए सीने में
गोली
खेले खून की
होली
पर दिल में था
अटूट विश्वास
लेकर रहेंगे
अपनी आज़ादी |
साहस और शौर्य
के आगे
अंग्रेज़ ने शीश
झुकाया
पंद्रह अगस्त
उन्नीस सौ सैंतालिश
भारत ने आज़ादी
का जश्न मनाया |
परतंत्र से
मिली आज़ादी
खुश हुई पूरी
देश की आबादी
किन्तु बाकि
अभी था बहुत
नहीं मिली थी
पूर्ण आज़ादी |
अंग्रेज़ चले गए
,पर
अंग्रेज़ियत
पीछे छोड़ गए
कुर्सी पर
बैठने वाले सब
हिन्दुस्तानी
अंग्रेज बन गए |
पूछती है जनता
.........
गरीबी,महंगाई,अनाज
की बर्बादी
कब मिलेगी इनसे
हमें आज़ादी ?
भ्रष्टाचार और
घोटाला,
करते हैं अफसर
और नेता
उसका दंड भोगते
हैं
देश की निर्दोष
जनता |
परेशां जनता कह
रही है.....
स्वार्थी न बनो
नेता, न जड़वादी
जातिवाद,सांप्रदायिक
उग्रवाद से
युवा बन रहे
हैं अब आतंकवादी ,
समाप्त करो
भेद-भाव की नीति
बताओ ,कब
मिलेगी इनसे हमें आज़ादी ?
जनता अब ऊब गई
है
संसद के
तू-तू,मैं-मैं से,
बच्चे खेलना
भूल गए हैं
झगड़ने की कला
सीख रहे हैं
जनता के
प्रतिनिधि से |
जनता मानती
संसद को
“एक मंदिर शिष्टाचार
का “
किन्तु ,अब
संसद बन गया
“कुस्ती का एक
अखाड़ा” |
गरीबी ,महंगाई
,परिवारवाद
असुरक्षा,साम्प्रदायिकता,जातिवाद
खोखला कर रहे
हैं हिंदुस्तान को,
जनता ने चुना
तुम्हे ,हो उनके प्रतिनिधि
पूंजीवाद को
छोड़ अब बनो जनवादी
बताओ, कब
मिलेगी हमें उनसे आज़ादी ?
© कालीपद ‘प्रसाद’
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, मदनलाल ढींगरा जी की १०६ वीं पुण्यतिथि - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteधन्यवाद
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