- बहुत हैं ऐसे जो ,एक रोटी के लिए तरसते हैं
- थाली भर लेते हैं कुछ,आधा खाकर छोड़ देते हैं
- जिम्मेदार हैं वे खुद, इस देश के अन्न की बर्बादी के
- नासमझी में बर्बाद कर अन्न,औरों को भूखा रखते हैं |
- समझदारी से थाली में उतना ले, जितना खा सकते हैं
- जरुरत पड़ने पर हर भोज्य को, बार बार ले सकते हैं
- सोचो जरा उन गरीब लाचार ,निराश्रय लोगो के बारे में
- देश में ऐसे करोड़ों लोग हैं ,जो भूखे पेट सोते हैं |
- केवल खुद के बारे में नहीं, देश के बारे में भी सोचना है
- देशभक्त, जिम्मेदार नागरिक का,पावन कर्त्तव्य निभाना है
- अन्न की बरबादी रोकना, है यह सबकी नैतिक जिम्मेदारी
- जब सबके थाली में भोजन होगा, देश खुशहाल तब कहना है |
कालीपद 'प्रसाद'
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दिनांक 03/08/2015 को आप की इस रचना का लिंक होगा...
ReplyDeleteचर्चा मंच[कुलदीप ठाकुर द्वारा प्रस्तुत चर्चा] पर...
आप भी आयेगा....
धन्यवाद...
धन्यवाद कुलदीप ठाकुर जी ,जरुर आयेंगे |
Deleteसही कहा. यह दिक्कत तो है
ReplyDeleteखाने का सम्मान करना बहुत जरुरी है । बहुत अच्छा लिखा है आपने ।
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