Sunday, 25 December 2016

ग़ज़ल

प्यार की धुन बजाता जायगा
राज़ जीवन का सुनाता जायगा |

पल दो पल की जिंदगी होगी यहाँ  
दोस्ती सबसे निभाता जायगा |

बाँटता जाएगा मोहब्बत सदा
दोस्त दुश्मन को बनाता जायगा |

पेट खुद का चाहे हो खाली मगर
खाना भूखों को खिलाता जायगा |

ले धनी का साथ अपनी राह में
मुफलिसों को भी मिलाता जायगा |

छोड़ नफरत द्वेष हिंसा औ घृणा
प्रेम मोहब्बत सिखाता जायगा |

उस फरिस्ते की प्रतीक्षा है अभी
स्वर्ग धरती को बनाता जायगा |


© कालीपद ‘प्रसाद’

1 comment:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (26-12-2016) को "निराशा को हावी न होने दें" (चर्चा अंक-2568) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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