दिया है वचन तो निभाना पड़ेगा
प्यार की कशिश में आना पडेगा |
तुम्ही ने लिए है कसम और वादे
तुम्हे अब कहो क्या मनाना पडेगा ?
जो भी हूँ जहाँ हूँ, हमें ना भुलाओ
जो वादा किया वो निभाना पडेगा |
ज़माना कभी भी बुरा तो नहीं है
बुरा आदमी है, सुधरना पडेगा |
गुलों में जो खुशबु है, उसको भी जानो
क्रिया का ही खुशबू, बढ़ाना पडेगा |
कालीपद ‘प्रसाद’
दिनांक 08/12/2016 को...
ReplyDeleteआप की रचना का लिंक होगा...
पांच लिंकों का आनंद... https://www.halchalwith5links.blogspot.com पर...
आप भी इस प्रस्तुति में....
सादर आमंत्रित हैं...