Wednesday, 7 December 2016

ग़ज़ल

दिया है वचन तो निभाना पड़ेगा
प्यार की कशिश में आना पडेगा |
तुम्ही ने लिए है कसम और वादे
तुम्हे अब कहो क्या मनाना पडेगा ?

जो भी हूँ जहाँ हूँ, हमें ना भुलाओ
जो वादा किया वो निभाना पडेगा |

ज़माना कभी भी बुरा तो नहीं है
बुरा आदमी है, सुधरना पडेगा |

गुलों में जो खुशबु है, उसको भी जानो
क्रिया का ही खुशबू, बढ़ाना पडेगा |



कालीपद ‘प्रसाद’

1 comment:

  1. दिनांक 08/12/2016 को...
    आप की रचना का लिंक होगा...
    पांच लिंकों का आनंद... https://www.halchalwith5links.blogspot.com पर...
    आप भी इस प्रस्तुति में....
    सादर आमंत्रित हैं...

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