, गौतम बुद्ध के मूल
उपदेश चार दोहे में ( एक प्रयास )
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जाति क्षेत्र के नाम
से, समाज को ना बाँट
धर्म पन्थ भाषा
नहीं, दोष गुणों पर छाँट |
समता ममता सब रहे,
भाव भावना मूल
एक बद्ध कर
चेतना, भेद भाव है शूल |
तृष्णा इच्छा मूल
है, कारण सब दुख दर्द
दीप स्वयं अपना बनो,
और बनो हमदर्द |
जीव कामना शून्य हो,
अहंकार मिट जाय
शील प्रज्ञा साधना,
समाधि एक उपाय |***
नाच गान जो भी किया,
मानव सभी प्रकार
कीर्तन जैसा गान
में, है आनंद अपार |
कालीपद ‘प्रसाद’
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