पाक माना धूर्त है, चालाकी’ दिखलायेंगे’ क्या
देश के गद्दारों’ को, फिर पाक उकसायेंगे’ क्या ?
जान न्यौछावर की’ सैनिक देश रक्षा के लिए
ये सहादत से सियासत नेता’ चमकाएंगे’ क्या ?
चाहते थे वे कहे कुछ मोहनी बात और भी
जुमले’ बाजी से नहीं फुर्सत तो बतलायेंगे’ क्या ?
खुद की’ नाकामी छुपाने के लिए कुछ बोलते
भड़की’ है जनता अभी तलक और भड्कायेंगे’ क्या ?
सीमा’ से आतंक वादी चोर ज्यों अन्दर घुसे
तार काँटे तेज हद पर और लगवाएंगे’ क्या ?
आयुधों का डर दिखाकर कब तलक सुरक्षित रकीब
हम खड़े हैं युद्ध स्थल पर मस्त, घबराएंगे’ क्या ?
कालीपद 'प्रसाद'
देश के गद्दारों’ को, फिर पाक उकसायेंगे’ क्या ?
जान न्यौछावर की’ सैनिक देश रक्षा के लिए
ये सहादत से सियासत नेता’ चमकाएंगे’ क्या ?
चाहते थे वे कहे कुछ मोहनी बात और भी
जुमले’ बाजी से नहीं फुर्सत तो बतलायेंगे’ क्या ?
खुद की’ नाकामी छुपाने के लिए कुछ बोलते
भड़की’ है जनता अभी तलक और भड्कायेंगे’ क्या ?
सीमा’ से आतंक वादी चोर ज्यों अन्दर घुसे
तार काँटे तेज हद पर और लगवाएंगे’ क्या ?
आयुधों का डर दिखाकर कब तलक सुरक्षित रकीब
हम खड़े हैं युद्ध स्थल पर मस्त, घबराएंगे’ क्या ?
कालीपद 'प्रसाद'
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (09-05-2017) को
ReplyDeleteसंघर्ष सपनों का ... या जिंदगी का; चर्चामंच 2629
पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुन्दर रचना..... आभार
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग की नई रचना पर आपके विचारों का इन्तजार।
wah...kya baat hai...bahut khoob
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