जीवन क्या है ?
वैज्ञानिक, संत साधु
ऋषि मुनि, सबने की
समझने की कोशिश |
अपनी अपनी वुद्धि की
सबने ली परीक्षा
फिर इस जीवन को
परिभाषित करने की,
की भरषक कोशिश |
किसी ने कहा,’मृग मरीचिका’
कोई इसे समझा “समझौता’
किसी ने कहा, “ भूलभुलैया”
“हमें पता नहीं, कहाँ से आये हैं
किस रास्ते आये हैं
किस रास्ते जाना है
यह भी पता नहीं
कहाँ जाना है |
जिसे हम देख रहे हैं, झूठ है
जो नहीं देख पा रहे हैं वो सच है |
बड़े बड़े साधू संत
वाइज और पादरी
का जवाब भी
एक नया भूलभुलैया है |
कई खंड काव्य
और महाकाव्य
लिखे गए है
इस भूलभुलैया पर |
किन्तु
सबके दिखाए गए मार्ग
अन्धकार के चिरकालीन
बंद दरवाज़े के पास जाकर
अंधकार में विलीन हो गए |
कालीपद 'प्रसाद'
सुंदर और सार्थक सृजन
ReplyDeleteसादर