Tuesday, 20 June 2017

दोहे

दोहे ( दार्जिलिंग पर )
बेकाबू पर्वत हुए, प्रश्न बहुत है गूढ़
हिंसा से ना हल मिले, मसला है संरूढ़ |

स्वार्थ लिप्त सब रहनुमा, प्रजागण परेशान
जनता का हित हो न हो, उनकी चली दूकान |


दोहे (रिश्तों पर )
यह रिश्ता है एक पुल, मानव है दो छोर
व्यक्ति व्यक्ति से जोड़ते, इंसान ले बटोर |

रिश्ते में गर टूट है, समझो पुल बेकार
टूटा पुल जुड़ता नहीं, नागवार संसार | 

कालीपद प्रसाद'

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