दोहे ( दार्जिलिंग
पर )
बेकाबू पर्वत हुए,
प्रश्न बहुत है गूढ़
हिंसा से ना हल
मिले, मसला है संरूढ़ |
स्वार्थ लिप्त सब
रहनुमा, प्रजागण परेशान
जनता का हित हो न
हो, उनकी चली दूकान |
दोहे (रिश्तों पर )
यह रिश्ता है एक
पुल, मानव है दो छोर
व्यक्ति व्यक्ति से जोड़ते, इंसान ले बटोर |
रिश्ते में गर टूट
है, समझो पुल बेकार
टूटा पुल जुड़ता
नहीं, नागवार संसार |
कालीपद प्रसाद'
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