Thursday, 28 March 2019

गीतिका

  हमेशा प्रेम पाना चाहता हूँ
    तुम्हें अब मैं बताना चाहता  हूँ |

    बहुत झेले दुखों के क्षण निराले
    अभी तो मुस्कुराना चाहता  हूँ |

    नयन  से  नीर बहना थम गया है
    खुशी में गुनगुनाना चाहता  हूँ  |

    छुपाए  जख्म जो दुनिया हमें दी
    निशानी को मिटाना चाहता हूँ |

    निराली जिंदगी है जान लो यह
     सभी को अब  हँसाना चाहता  हूँ |

      पीड़ा, कष्ट कोई, जिंदगी में
    खुशी का इक जमाना चाहता  हूँ |

    गगन में चाँद  सूरज सब  चमकते
    नखत बन टिमटिमाना चाहता  हूँ  |

कालीपद 'प्रसाद'


9 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २९ मार्च २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  2. सादर धन्यवाद स्वेता सिन्हा जी

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  3. नयन से नीर बहना थम गया है
    खुशी में गुनगुनाना चाहता हूँ |
    बहुत सुन्दर... लाजवाब....
    वाह!!!

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    1. आपको पसंद आया मेरा लिखना सार्थक हुआ आ सुधा देवरानी जी

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  4. गगन में चाँद सूरज सब चमकते
    नखत बन टिमटिमाना चाहता हूँ
    वाह ! बहुत ही सरस-सरल रचना।

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    1. आपको पसंद आया मेरा लिखना सार्थक हुआ आ. मीना शर्मा जी

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  5. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति...

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    1. आपको पसंद आया मेरा लिखना सार्थक हुआ आ कैलाश शर्मा जी

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  6. बहुत ही सुन्दर और शानदार गज़ल

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