ठुकराया तुमने , आने से मना किया ,मेरे साथ
दुखी हूँ,पर खुश हूँ ,तुम्हारी यादें तो हैं मेरे साथ। ...............(१ )
भूलना चाहूँ ,पर भूल ना पाऊं तुझे,क्या करूँ ?
कितना करूँ कोशिश ,तू याद आ ही जाती मुझे। ...................(२ )
जब जब भरने लगते हैं पुराने घाव मेरे
कुरेदकर ताजाकर जाता है याद तुम्हारे। .............................(.३ )
अरसों बाद उनको पुराने रिश्ते यूँ याद आ गई
जैसे ठंडी बासी कड़ी में उबाल आ गई। .................................(४)
दुनियां की रीति बड़ी अजीब है भैया
कैसे कैसे नियम बनाया है कन्हैया
रोते हुए आते देख, हँसते हैं दुनियाँ
हँसते हुए जाते देख, रोते हैं दुनियाँ। .....................................(५ )
हल्दी रंग लाती है ,मेहंदी बनाती है दुल्हन को खुबसूरत
लाती है बदन में सु-बास और व्यवहार में नज़ाकत
सुना है बढ़ जाती है चंचलता और नाखरेपन दुल्हन की
लौट कर आती है जब हनीमुन मनाने के बाद। .....................(६ )
कालीपद "प्रसाद "
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ReplyDeleteधन्यवाद
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आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवारीय चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteआभार रविकर जी !
DeleteBAHUT KHOOB,KYA BAT HAI,
ReplyDeleteबहुत ही सार्थक प्रस्तुति,आभार आदरणीय.
ReplyDeleteदुनिया के ये अजब खेल भी तो माया है कन्हैया की ...
ReplyDeleteबहुत खूब ...
बेहतरीन क्षणिकायें
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ReplyDeleteलाजबाब बेहतरीन क्षणिकाए,,,,
ReplyDeleteRecent Post: कुछ तरस खाइये
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ReplyDeleteधन्यवाद
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aapke site me kuchh khamiyan hai .ye dikha raha hai "MySQL server has gone away" check kijiye .
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ReplyDeleteSunder Kshanikayen...
ReplyDeleteभाव युक्त सहज अभिव्यक्तियाँ जीवन और जगत की यादों के कारवाँ की .
ReplyDeleteसुंदर भावाभिव्यक्ति.....
ReplyDeleteबेहतरीन भावपूर्ण सुंदर भाव अभिव्यक्ति ,
ReplyDeleteशुक्रिया आपकी टिपण्णी का इस महत्वपूर्ण भाव मय क्षणिका श्रृंखला का .भाव कणिकाएं हैं ये .
ReplyDeleteआनंद आनंद बहुत अच्छा
ReplyDeleteमेरी नई रचना
ये कैसी मोहब्बत है
आपकी यह रचना बहुत ही सुंदर है…
ReplyDeleteमैं स्वास्थ्य से संबंधित छेत्र में कार्य करता हूं यदि आप देखना चाहे तो कृपया यहां पर जायें
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