आज कल के बच्चों को बचपन से ही महत्वकांक्षी बनाया जाताहै। उसमें बच्चों का कम, माता पिता का महत्वकांक्षा ज्यादा होता है। वे यह भूल जाते है कि प्रतिभा सब बच्चों में एक समान नहीं होती ।बच्चों में जितना सामर्थ है, मंजिल उनसे कही ज्यादा ऊंचाई पर होती है। बच्चे उड़ान तो भरते है अपनी पूरी ताकत लगा कर ,परन्तु उनकी मानसिक एवं शारीरिक, दोनों शत्कियाँ जब जवाब दे देती है तो उन्हें निराशा होती है।उनमे हीन भावना घर कर जाती है।इसलिए उन्हें सावधान करना भी जरुरी है कि जिन्दगी में समझौता करना और असफलता को स्वीकार करना भी सीखना चाहिए।
ऐ पंछी इतना उड़ना, जितना तुम्हारी मर्जी हो
पर साँझ ढले नीड़ पर लौटना है ,इसका तुम्हे इल्म हो।
उड़ो जहाँ तक नज़र जाय , अनंत उन्मुक्त आकाश में
पर इतना भी दुर मत जाना ,पंख इनकार दे लौटने में।
सीमित शक्ति है पंख में .मिशन है नापना सीमांत नभ को
कहीं निराश न होना पड़े ,चुनौती दी गर रब को।
हिम्मत अदम्य है ,उमंग असीमित है ,चाहत भी बेइंतहा
किन्तु नभ को पार कर सके ,नहीं शक्ति पंख में इतना ।
अभिलाषा ,हिम्मत, उमंग जरुरी है ऊँची उड़ान के लिए
समझौता, स्वीकृति भी चाहिए निराशा से बचने के लिए।
जहाज की पंछी चाहती है, पार कर जाय समंदर
कुछ दूर जाकर थक जाती है ,लौट आती है जहाज पर।
रचना : कालीपद "प्रसाद"
©सर्वाधिकार सुरक्षित
चित्र गूगल से साभार |
उड़ान
ऐ पंछी इतना उड़ना, जितना तुम्हारी मर्जी हो
पर साँझ ढले नीड़ पर लौटना है ,इसका तुम्हे इल्म हो।
उड़ो जहाँ तक नज़र जाय , अनंत उन्मुक्त आकाश में
पर इतना भी दुर मत जाना ,पंख इनकार दे लौटने में।
सीमित शक्ति है पंख में .मिशन है नापना सीमांत नभ को
कहीं निराश न होना पड़े ,चुनौती दी गर रब को।
हिम्मत अदम्य है ,उमंग असीमित है ,चाहत भी बेइंतहा
किन्तु नभ को पार कर सके ,नहीं शक्ति पंख में इतना ।
अभिलाषा ,हिम्मत, उमंग जरुरी है ऊँची उड़ान के लिए
समझौता, स्वीकृति भी चाहिए निराशा से बचने के लिए।
जहाज की पंछी चाहती है, पार कर जाय समंदर
कुछ दूर जाकर थक जाती है ,लौट आती है जहाज पर।
रचना : कालीपद "प्रसाद"
©सर्वाधिकार सुरक्षित
बहुत सुंदर..... उम्मीदें बोझ न बने ....
ReplyDeleteबहुत सही व सार्थक सन्देश देती हुई ...
ReplyDeleteसादर !
माल की मुहब्बत में इंसान इंसानियत को भूल गया है।
ReplyDeleteबहुत उम्दा सार्थक संदर्श देती रचना,,,,
ReplyDeleteRecent post: होरी नही सुहाय,
हमें बस नभ प्रस्तुत कर देना है।
ReplyDeletenc sr
ReplyDeleteसुन्दर सन्देश देती रचना !!
ReplyDeleteबहुत ही सार्थक संदेश देती बेहतरीन रचना,सादर आभार.
ReplyDeletebahut sundar sarthak rachna....sach aaj ka....
ReplyDeleteaajkal ke maahol ke anukul rachna aajkal ke bachho ko haarna pasand nahi kyuki bachpan se hi bs hum unhe jeeto jeeto ki race mei shamil kar dete hain bahut hi sundar sarthak rachna ..mujhe lagta hai har vidyarthi ko avashya padhni chaiye :-)
ReplyDeleteमन की भावनाओं को व्यक्त करती ...नई रचना Os ki boond: टुकड़े टुकड़े मन ...
सुन्दर सार्थक संदेश देती रचना..आभार
ReplyDeletebilkul sahi kaha ...satik nd samsamyik rachna...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सार्थक सन्देश...
ReplyDeleteप्रगति का मन्त्र देती रचना !
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