ॐ नम : शिवाय
महाशिव रात्रि में शिवजी की पूजा न केवल भारत में वरन पूरा विश्व में होती है , जहाँ हिन्दू है। शिव जी के बारे में भिन्न भिन्न बिचार पढने को मिलता है। कोई कहते है देवादि देव महादेव है। यही हैं सब देवतावों में श्रेष्ट ।इन्ही के आदेश से ब्रह्मा जी सृष्टि की रचना करते हैं।विष्णु भगवान उस रचना का देखभाल करते है। शिव जी के इच्छा से पुरानी ,अनोपयोगी रचनाएँ विनाश को प्राप्त होता है और नई सृष्टि होती है। शिव जी की पूजा शिवलिंग के रूप में किया जाता है। जिसे हम शिव लिंग कहते है ,वह् केवल शिव लिंग नहीं वह तो संगम है शिव और पार्वती लिंगो का ,प्रतीक है नई सृष्टि का। इसलिए शिव संहारक नहीं सिरजनहार है। .
चित्र गूगल से साभार |
ईश्वर कौन हैं ? कहाँ हैं ? कैसा सुन्दर रूप है ?
इंसान में हमेशा इन्हें जानने का कौतुहल है ।
कोई कहता ईश्वर है आत्मा ,वही है परमात्मा,
मन है उसका मंदिर,मस्जिद,वही है गुरुद्वारा।
मन जब प्रसन्न होता है ,घर आँगन महकने लगते हैं,
धरती ही स्वर्ग , धरती ही गोलकधाम लगने लगते हैं।
कपोल कल्पित रमणीय स्वर्ग किसी ने ना देखा ,
धरती का कैलाश ,मानसरोवर ,वैतरणी गंगा देखा।
मानो तो स्वर्ग यही है ,नरक यहीं है ,यहीं हैं भगवान
तन मन से निरोगी स्वर्ग भोगते ,नरक का कष्ट लालची इंसान।
प्रकृति पोषण करती जग को, बनकर शस्य श्यामला धरती
रहस्यमय ,विकराल रूप इसका ,जब वह प्रलयंकारी होती।
प्रकृति ही सृष्टिकर्ता है, वही है विष्णु पालनहार ,
सडा ,बिगड़ा ,बेकार सृष्टि को शिव करते है संहार।
प्रकृति ही ब्रह्मा ,प्रकृति ही विष्णु , प्रकृति ही हरिहर
एक ही ईश्वर तीन रुप में ,रचते,पालते ,करते है संहार।
ना शिव , ना लिंग ,यह लिंग संगम है शिव-पार्वती का
यह प्रतीक है, यह श्री गणेश है ,नई नई सृष्टि का।
तैंतीस कोटि देव देवी हैं ऐसा मानते है सारे संसार .
एक ही शिव है द्वीतीय नास्ति जग के सिरजनहार।
रचना : कालीपद "प्रसाद'\
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वाह --
ReplyDeleteशिव संहारक नहीं सृजनहार हैं-
शुभकामनायें आदरणीय-
हर-हर बम-बम, बम-बम धम-धम |
Deleteतड-पत हम-हम, हर पल नम-नम ||
अकसर गम-गम, थम-थम, अब थम |
शठ-शम शठ-शम, व्यरथम-व्यरथम ||
दम-ख़म, बम-बम, चट-पट हट तम |
तन तन हर-दम *समदन सम-सम ||
*युद्ध
*करवर पर हम, समरथ सक्षम |
अनरथ कर कम, झट-पट भर दम ||
*विपत्ति
भकभक जल यम, मरदन मरहम |
हर-हर बम-बम, हर-हर बम-बम ||
बम बम भोले ,जय शिव शंकर !!!
Deleteबहुत सुंदर सृजन ,,,,बधाई ,,,
ReplyDeleteRecent post: रंग गुलाल है यारो,
ओम नमः शिवाय,बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति.शिव जी सबका कल्याण करें.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर शिवमय रचना... महाशिवरात्रि की शुभकामनायें....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ...वाकई शिव स्रजनकर्ता ही हैं .....महाशिवरात्रि की अशेष शुभकामनाएं ....!!!
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ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (10-03-2013) के चर्चा मंच 1179 पर भी होगी. सूचनार्थ
ReplyDeleteअरुण शर्मा अनंत जी! आभार !!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भक्तिमय प्रस्तुति...जय भोले नाथ...
ReplyDeleteमहाशिवरात्रि की अग्रिम शुभकामनायें..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDelete--
महाशिवरात्रि की शुभकामनाएँ...!
महाशिवरात्रि की शुभकामनाएं!!
ReplyDeleteॐ नम : शिवाय महाशिवरात्रि की शुभकामनाएँ
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना... महाशिवरात्रि की शुभकामनायें
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ReplyDeleteमहाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ.
बहुत सुंदर ........महाशिवरात्रि की मंगल कामनाए
ReplyDeletethnx
ReplyDeleteकालीपद जी, बहुत बहुत शुभकामनाएँ महाशिवरात्रि के अवसर पर..सुंदर प्रस्तुति !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना...
ReplyDeleteबेहतरीन.....
सुन्दर प्रस्तुति भाई साहब .
ReplyDeleteएक ही शिव है द्वीतीय नास्ति जग के सिरजनहार
ReplyDeleteबहुत सुंदर शिव की महिमा को दर्शाया है आपने
महा शिवरात्रि की शुभकामनायें
बहुत सुंदर कविता ....भोले बाबा को नमन
ReplyDeleteजय भोले बाबा ... डमरू वाले की जय ...
ReplyDeleteलाजवाब शिव-स्तुति ....
सुन्दर प्रस्तुति। महाशिवरात्रि की शुभकामनायें।
ReplyDeleteसुंदर भक्तिमय रचना महोदय.....
ReplyDeleteशुभकामनाएं .......