राम रहीम . ईश्वर अल्लाह . पूरी कायानात में एक ही ईश्वर के अलग अलग नाम है .हर धर्म का मूल मंत्र भी यही है . जिसे हम धर्म कहते है ,वास्तव वह में वे सब अलग अलग पथ है उस परमेश्वर तक पहुँचने के लिए .धर्म तो एक ही है ,मनुष्य धर्म ,,,,,,,,,,,, मनुष्य मनुष्य में प्रेम का भाव फैलाते हुए ऐसा काम करना जिस से हम ईश्वर को खुश कर सके। लेकिन कुछ स्वार्थी तत्व अपने स्वार्थ के लिए भोलीभाली भक्तों को गुमराह करते है और अलग अलग धर्मो में लड़ाई झगडा करवाते है .क्या इस से ईश्वर ,अल्लाह खुश होते हैं Æ
Ba@taoM kI AiBalaaYaa
ihndu: “maisjad kao taoD,nao kI
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mausalamaana: “Allaah maohrbaana hao
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नास्तिक ihndu
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कालीपद "प्रसाद"
©सर्वाधिकार सुरक्षित
बहुत सुन्दर विचारधारा प्रस्तुत की आपने | बधाई
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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खूबशूरत विचारों का लयबद्ध और सुन्दर प्रवाह
ReplyDeleteसार की तत्वपूर्ण सार्थक बात !
ReplyDeleteसच है की राह अलग अलग पर मंजिल एक ही है ...
ReplyDeletesahi bat hai aapki ..par log kahan samajhte hain...
ReplyDeleteबहुत सार्थक और सारगर्भित चिंतन...
ReplyDeleteसच कहूँ तो स्वार्थ में अंधा इंसान इंसानियत भूल बैठा है .....ईश्वर-अल्लाह तो कुकर्म छुपाने के बहाने भर बन कर रह गये हैं
ReplyDeleteआपने बिलकुल सही कहा शिखा जी ,आभार
Deletesarthak rachna......
ReplyDeleteमैं आपसे सहमत हूँ शिखा जी |होली पर अग्रिम शुभ कामनाएं |
ReplyDeleteआशा
सार्थक तत्वपूर्ण विवेचना,आभार.
ReplyDeleteसारगर्भित सुन्दर विचार !!
ReplyDeleteआभार !!
धन्यवाद अरुन अनन्त जी
ReplyDeleteVirendra Sharma @Veerubhai1947 1h
ReplyDeleteram ram bhai
मुखपृष्ठ
शनिवार, 23 मार्च 2013
आखिर सारा प्रबंध इटली का ही तो है यहाँ .
http://veerubhai1947.blogspot.in/
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Virendra Sharma @Veerubhai1947 1h
इटली के ही पास गिरवीं है भारत की नाक http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2013/03/blog-post_23.html …
एक्स्पंद
शुक्रिया आपकी बहुमूल्य टिप्पणियों का .
इंसान का धर्म...सिर्फ़ और इंसानियत निभाना होता है...~ईश्वर एक ही है! भले ही नाम और राहें अलग-अलग हों...
ReplyDelete~सादर!!!
धर्म के अलावा...सब अधर्म है...कोई शक...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ...सहमत हूँ आपसे
ReplyDeleteपधारें " चाँद से करती हूँ बातें "
"
ReplyDeleteबहुत सुन्दर है आपका लेखन,
आपके शब्द बहुत प्यारे लगे,
आपको शुभ-कामनायें!"
http://www.facebook.com/chetan.ramkishan
ekdam sahi kaha hai aapne .
ReplyDeleteसार्थक पोस्ट...
ReplyDeleteपूनम जी ,आपने सही व्याख्या की है .धर्म क्या है ? इसपर मेरी अगली कविता है .आपके बहुमूल्य विचार का इन्तेजार रहेगा.
ReplyDeleteजीवन के सार्थक सत्य की जानकारी दी आपने
ReplyDeleteबधाई
बहुत सार्थक कथन...होली की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteईश्वर एक है सब उसी की संतान है वो तो इनसान ने ही स्वार्थ वश बँटवारा कर दिया है ,तथ्य परक आलेख हेतु हार्दिक बधाई
ReplyDeletevery nice this is a true
ReplyDeletedhram ma hma kabhi fark nahi karna chaiya
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