चित्र गूगल से साभार |
ऐ !मेरे सपने !
तू क्यों आता है बार बार ?
ले जाता है मुझे
उस जगह पर
जहाँ मैंने एक पौधा लगाया था ,
आज वह विशाल वृक्ष बन गया है ,
पक्षियों को रात का आसरा और
दिन के तपती धुप में
पंथियों को शीतल छाया देता है।
एक आम का पौधा
जिसे मैंने सींच सींच कर
गुड़ाई कर खाद डालता था
उसके किसलयों को देखकर
मन ही मन खुश होता था ,
आज फल से लदकर
झुक गया है।
बच्चे ,जवान बूढ़े,पशु ,पक्षी सब
खुश हैं ,
उसके मीठे फल खाकर पूर्ण तृप्त हैं।
उसे भी ख़ुशी होती होगी जानकर
उसका फल किसीका पेट भर रहा है।
मुझे भी गर्व होता है सोचकर कि
मैंने उसे लगया था।
मन में अपार शान्ति है कि
मैंने अपना ऋण उतार दिया है
क्योकि मैंने भी आम खाया था
किसी और पेड़ का
जो मैंने नहीं लगाया था
किसी और ने लगाया था।
रचना : कालीपद "प्रसाद"
©सर्वाधिकार सुरक्षित
कर्म वही प्रधान जो खुद को संतुष्टि और दूसरों का भला करे .....
ReplyDeleteवाकई अच्छा लगता है ....
aabhaar
Deleteसुंदर, सार्थक, सकारात्मक सन्देश देती बहुत बढ़िया प्रस्तुति ! बहुत खूब !
ReplyDeleteआभार
Deleteबहुत उम्दा सन्देश देती प्रेरक रचना,,,,
ReplyDeleteRecent Post: सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार,
शुभप्रभात :)
ReplyDeleteआपके जज्बे को सलाम !
शुभकामनायें !!
बहुत ही सार्थक सन्देस देती सुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteसार्थक ... हर कोई अपना ऋण उतारे तो पृथ्वी स्वर्ग हो जाए ...
ReplyDeleteबहुत ही सार्थक और सुन्दर रचना..
ReplyDeleteदिगंबर नासवा जी की टिपण्णी से पूर्णतः सहमत हूँ. सुन्दर भाव.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति |
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत रचना प्रेरणादायी
ReplyDeleteवाह! बहुत सार्थक प्रस्तुति...
ReplyDelete"
ReplyDeleteअत्यंत सुन्दर..
अनुभूति पूर्ण आपकी लेखनी..सम्मानित श्री प्रसाद जी!"
बहुत सुन्दर रचना - पेड़ लगाओ जीवन बचाओ वाली भावना को बढ़ावा देती ..
ReplyDeleteऋण अपार,
ReplyDeleteअब उतार।
sarthk rachna
ReplyDeleteबहुत सही कहा है आपने.बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति आभार हाय रे .!..मोदी का दिमाग ................... .महिलाओं के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MAN
ReplyDeleteअपने सरकारी आवास में आम के चार पेड़ लगाए हैं-
ReplyDeleteअमरुद पपीता सहजन की भरमार है-
बढ़िया प्रेरित करती रचना-
मुझे भी गर्व होता है सोचकर कि
ReplyDeleteमैंने उसे लगया था।
मन में अपार शान्ति है कि
मैंने अपना ऋण उतार दिया है
jay ho ! shubh ho !
bahut sundar ... Sadhuwad Adaraniy !
Pranam !
खुबसूरत एहसास से भरी ...खुबसूरत रचना !बधाई ....
ReplyDeletenc sr ----------- $ thnx / mere blog tk aane k liye
ReplyDeleteसपने में नहीं सचमुच में वृक्ष लगाने हैं..मीठे मीठे सुस्वादु फल खाने और खिलाने हैं..
ReplyDeleteअनीता जी यह सपना नहीं ,यह सत्य है ,मैंने कई जगह पर आम अमरुद ,लीची ,अनार , कठहल के पौधे लगाया है. आज वे फलदार वृक्ष हैं .उनके यादों(सपने ) को मैंने इस कविता में सजाया है.
Delete...बहुत सुन्दर और शिक्षाप्रद रचना!...बधाई!
ReplyDeleteअच्छा सन्देश देती कविता .
ReplyDelete
ReplyDeleteकल दिनांक 24/03/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!