कैसा साँचा बनाया तूने ,मेरे मन के आंगन में
कोई भी मूरत समाता नहीं ,मन के इस सांचे में |
चाहत का कौन सा रंग चुना ,न जानू ,तू ने
कोई भी रंग फबता नहीं , मन के इस मूरत में |
ढूंढा उसको नगर नगर ,छूटा न कोई शहर
कहाँ मिलेगा साजन मेरा ,मैं हूँ उसके इन्तजार में |
बदल दो इस साँचे को रब , या बना दो कोई मूरत
साँचा मूरत एक हो जाय ,एक रंग चढ़ जाय दोनों में |
सूरत ,सीरत ,रंग ,रूप सब भर दो एक मूरत में
नापतौल में व्यावधान न हो ,समागम हो मेरे सांचे में |
साजन है पानी ,बिन पानी नहीं कटता जीवन
साजन है नख्लिस्तान*, जीवन के रेगिस्तान में |
*नख्लिस्तान -oasis -मरुभूमि में जहाँ पानी मिलता है
कालीपद "प्रसाद "
सर्वाधिकार सुरक्षित
कोई भी मूरत समाता नहीं ,मन के इस सांचे में |
चाहत का कौन सा रंग चुना ,न जानू ,तू ने
कोई भी रंग फबता नहीं , मन के इस मूरत में |
ढूंढा उसको नगर नगर ,छूटा न कोई शहर
कहाँ मिलेगा साजन मेरा ,मैं हूँ उसके इन्तजार में |
बदल दो इस साँचे को रब , या बना दो कोई मूरत
साँचा मूरत एक हो जाय ,एक रंग चढ़ जाय दोनों में |
सूरत ,सीरत ,रंग ,रूप सब भर दो एक मूरत में
नापतौल में व्यावधान न हो ,समागम हो मेरे सांचे में |
साजन है पानी ,बिन पानी नहीं कटता जीवन
साजन है नख्लिस्तान*, जीवन के रेगिस्तान में |
*नख्लिस्तान -oasis -मरुभूमि में जहाँ पानी मिलता है
कालीपद "प्रसाद "
सर्वाधिकार सुरक्षित
बहुत सुंदर !
ReplyDeleteसभी मित्र परिवारों को आज संकष्टी पर्व की वधाई ! सुन्दर प्रस्तुतीक्र्ण !
ReplyDeleteसुन्दर रचना !
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति...
ReplyDeleteदिनांक 13/10/2014 की नयी पुरानी हलचल पर आप की रचना भी लिंक की गयी है...
हलचल में आप भी सादर आमंत्रित है...
हलचल में शामिल की गयी सभी रचनाओं पर अपनी प्रतिकृयाएं दें...
सादर...
कुलदीप ठाकुर
सुन्दर भावाभिव्यक्ति...
ReplyDeleteवाह सर जी क्या बात ..कमाल की रचना :)
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आप आमंत्रित हैं :)
bahut hi sunder prastuti !!
ReplyDeleteबेहद खुबसूरत अभिव्यक्ति ..... उम्दा गजल
ReplyDeleteबहुत खूब ... हर शेर लाजवाब ...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteबहुत बढ़िया और मन को छूती गजल ---
ReplyDeleteसादर