इश्क उसने किया,सन्देश मुझे मिला
इश्क मैं ने किया सन्देश उन्हें न मिला !
वो खमोश थी ,उन्हें तारीफ़ मिली
मैंने इज़हार किया ,मुझे दुत्कार मिला |
निगाहों निगाहों में पैगाम भेजती थी वो
पैगाम को पढना चाहा ,निगाह का ताड़न मिला .
शोख़ अदाओं की मलिका है वह ,नाजुक ,कमसिन है
तारीफ़ के कसीदे पढ़े हमने ,कोई इनाम न मिला |
नाज़ुक दिल है उनका ,कमल सा कोमल बदन है
सुना था मैंने भी ,सबुत कोई न मिला |
सुरमा लगी आँखें ,लाल जादुई पिया का लब
भेजा था न्योता उसने ही ,पता नहीं किसको मिला |
इश्क में तड़पना ,धोखा खाना आम बात है
खुश नशीब हो "प्रसाद "उनसे इनकार तो न मिला |
कालीपद "प्रसाद "
सर्वाधिकार सुरक्षित
इश्क मैं ने किया सन्देश उन्हें न मिला !
वो खमोश थी ,उन्हें तारीफ़ मिली
मैंने इज़हार किया ,मुझे दुत्कार मिला |
निगाहों निगाहों में पैगाम भेजती थी वो
पैगाम को पढना चाहा ,निगाह का ताड़न मिला .
शोख़ अदाओं की मलिका है वह ,नाजुक ,कमसिन है
तारीफ़ के कसीदे पढ़े हमने ,कोई इनाम न मिला |
नाज़ुक दिल है उनका ,कमल सा कोमल बदन है
सुना था मैंने भी ,सबुत कोई न मिला |
सुरमा लगी आँखें ,लाल जादुई पिया का लब
भेजा था न्योता उसने ही ,पता नहीं किसको मिला |
इश्क में तड़पना ,धोखा खाना आम बात है
खुश नशीब हो "प्रसाद "उनसे इनकार तो न मिला |
कालीपद "प्रसाद "
सर्वाधिकार सुरक्षित
आपकी लिखी रचना शनिवार 18 अक्टूबर 2014 को लिंक की जाएगी........... http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
ReplyDeleteआपका आभार यशोदा जी !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (18-10-2014) को आदमी की तरह (चर्चा मंच 1770) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच के सभी पाठकों को
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
अपरिहार्य कार्य के कारण ब्लॉग पर नियमित रूप से नहीं आ पा रहा हूँ | विलम्ब के लिए खेद है !आपका आभार डॉ रुपचद्र शास्त्री जी!
Deleteबेहतरीन रचना
ReplyDeleteसुन्दर विचार कणिका ,भाव और अर्थ .
ReplyDelete:)
ReplyDeleteवाह ... हकीकत की जुबानी हैं ये शेर ...
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसुन्दर रचना! काली प्रसाद जी!
ReplyDeleteSunder rachna
ReplyDeleteSunder rachna
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ! बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteसुंदर रचना।
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