गूगल से साभार |
हे निरंजन ,हे निर्गुण निराकार
बड़ी देर से बैठा हूँ मैं
तेरे द्वार
इस आशा और दृढ विश्वास के
साथ
मुझे पास बुलाओगे पकड़ मेरा
हाथ |
मेरा विश्वास को टूटने न
देना
भव सागर को पार करा देना
डगमग डगमग दोल रहा है नाव
मेरा
नहीं पार जायगा बिन तेरा
सहारा |
सागर किनारे खडा हैं भक्त तेरा
तैरना नहीं आता कौन बनेगा
मेरा सहारा ?
शिला जो तैरे पानी में
,उसका पुल बना दे
या नाविक बनकर ,तु मुझको पार
लगा दे !
कालीपद "प्रसाद "
सर्वाधिकार सुरक्षित
******
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (01-11-2014) को "!! शत्-शत् नमन !!" (चर्चा मंच-1784) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच के सभी पाठकों को
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपका हार्दिक आभार डा रूपचंद्र शास्त्री जी !
Deleteबहुत अछा प्रस्तुतीकरण ! शान्त-रस प्रधान !
ReplyDeleteसुंदर।
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी है और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - शनिवार- 01/11/2014 को
ReplyDeleteहिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः 43 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें,
आपका आभार दर्शन जांगरा जी !
Deleteसुन्दर स्तुति
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteविनय एवं भक्ति भावना प्रधान सुन्दर प्रस्तुति !
ReplyDeletesundar comment
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteप्रार्थना दिल से
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भक्तिमय प्रस्तुति...
ReplyDeleteसुन्दर रचना !
ReplyDeleteकृपया मेरे ब्लॉग पर आये !!
bhakti va vishwas se ot-prot... Sunder rachna !!
ReplyDeleteबहुत हि सुंदर , धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
आपकी इस रचना का लिंक दिनांकः 3 . 11 . 2014 दिन सोमवार को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !
आपका आभार आशीष जी ! विलम्ब के लिए क्षमाप्रार्थी !
Deleteजीवन साथी की तबियत ख़राब होने के कारण अस्पताल में ज्यादा समय निकल जाता है !
आमीन ... सुन्दर प्रार्थना के शब्द ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिंक
ReplyDelete